दुर्लभ रोगों के अंतर्गत छह नई श्रेणियां जोड़ी गई
हाल ही में राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (NPRD ), 2021 के तहत दुर्लभ रोगों की छह नई श्रेणियां जोड़ी गई हैं।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुछ दुर्लभ बीमारियों को NPRD, 2021 में शामिल किया है। ये बीमारियां हैं- लारोन सिंड्रोम, विल्सन रोग और हाइपोफॉस्फेटिक रिकेट्स ।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दुर्लभ रोगों को “प्रति 1000 जनसंख्या पर 1 या उससे कम व्यक्ति में प्रसारित दुर्बल करने वाले आजीवन रोग या विकार” के रूप में परिभाषित करता है ।
- दुर्लभ रोगों की संख्या 7000 से 8000 के बीच है। इनमें से लगभग 95% रोगों का कोई प्रमाणित इलाज उपलब्ध नहीं है।
- NPRD का उद्देश्य व्यापक निवारक रणनीति के माध्यम से दुर्लभ रोगों के नए मामलों और आबादी में इसके प्रसार को कम करना है।
NPRD की प्रमुख विशेषताएं
रोगों का वर्गीकरण
- समूह 1: ऐसे रोग जो एक एक बार के उपचार से ठीक हो जाते हैं।
- समूह 2: ऐसे रोग जिनका लंबे समय तक या आजीवन उपचार चलता रहता है। हालांकि, उपचार की लागत तुलनात्मक रूप से कम होती है।
- समूह 3: ऐसे रोग जिनके लिए निश्चित उपचार तो उपलब्ध है, लेकिन उपचार के लिए उपयुक्त रोगी का चयन चुनौतीपूर्ण कार्य है।
उपचार में सरकार का सहयोग
- समूह 1 के रोगों के उपचार के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अंब्रेला योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- राज्य सरकारें समूह 2 के तहत सूचीबद्ध रोग से ग्रसित मरीजों की सहायता कर सकती हैं।
अलग-अलग स्तरों पर रोकथाम
- प्राथमिक स्तर पर रोकथाम: दुर्लभ रोग से ग्रसित बच्चे के जन्म को रोका जा सकता है ।
- द्वितीयक स्तर पर रोकथाम : दुर्लभ रोग से ग्रसित भ्रूण के जन्म को रोका जा सकता है।
- तृतीयक स्तर पर रोकथाम : दुर्लभ रोग से ग्रस्त रोगियों का चिकित्सीय पुनरुद्धार किया जा सकता है।
दुर्लभ रोगों के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
- दुर्लभ रोगों के निदान, रोकथाम और उपचार के लिए NPRD के तहत उत्कृष्टता केंद्रों (CoEs) की स्थापना की गई है।
- ऑर्फन दवाओं (Orphan drugs) सहित अलग–अलग उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए फार्मास्यूटिकल्स हेतु PLI योजना शुरू की गई है।
- कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आयातित दवाओं (केवल व्यक्तिगत उपयोग ) को बुनियादी सीमा शुल्कों और IGST में पूर्ण छूट प्रदान की गई है।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स