हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को 4 माह के भीतर दिव्यांगजनों के लिए पदोन्नति में आरक्षण लागू करने संबंधी निर्देश जारी करने का आदेश दिया है।
- उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 Rights of Persons with Disabilities (PwD) Act, 2016 की धारा 8 के अनुसार निर्देश जारी किए जाने चाहिए। यह धारा संदर्भित (बेंचमाक) दिव्यांग व्यक्तियों के लिए न्यूनतम 4 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करती है।
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, संदर्भितदिव्यांग व्यक्ति से आशय एक ऐसे व्यक्ति से है, जो एक निर्दिष्ट दिव्यांगता के चालीस प्रतिशत से कम दिव्यांग नहीं है, जैसा कि प्रमाणन प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित किया गया है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को शामिल किया गया है।
- इससे पूर्व, सिद्धाराजू बनाम कर्नाटक राज्य वाद में, जनवरी 2020 के निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने पुष्टि की थी कि दिव्यांगजनों को केवल नियुक्ति में ही नहीं बल्कि पदोन्नति में भी आरक्षण का अधिकार प्राप्त है। किंतु, केंद्र सरकार ने इसे लागू नहीं किया था।
- केंद्र सरकार ने रिक्तियों की गणना के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की थी।
- सरकार ने यह तर्क प्रस्तुत किया था, कि उच्चतम न्यायालय के दो निर्णयों के मध्य एक विरोधाभास है: भारत संघ बनाम नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड वाद और राजीव कुमार गुप्ता बनाम भारत संघ वाद।
- इससे पूर्व, उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि एक दिव्यांग व्यक्ति पदोन्नति में आरक्षण का लाभ उठा सकता है, भले ही वह नियमित श्रेणी में नियुक्त किया गया हो तथा नियुक्ति के पश्चात वह दिव्यांग हुआ हो।
नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड वाद में : उच्चतम न्यायालय ने यह स्वीकार किया था कि दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण की गणना समूह A. B. C और D पदों (अर्थात दोनों चिन्हित तथा गैर चिन्हित पद) के मामले में कैडरस्ट्रेंथ में रिक्तियों की कुल संख्या पर आरक्षण की गणना करके की जाएगी।
राजीव कुमार गुप्ता वाद में : उच्चतम न्यायालय ने सरकार को समूह A तथा B में सभी चिन्हित पदों पर दिव्यांगजनों को आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था।
स्रोत – द हिन्दू