आवश्यक दवाओं और फॉर्मूलेशंस की कीमतों में बढ़ोतरी
हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)-तेलंगाना के अनुसार आवश्यक दवाओं और फॉर्मूलेशंस की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।
IMA तेलंगाना के अनुसार 384 आवश्यक दवाओं और 1,000 से अधिक फॉर्मूलेशंस की कीमतों में 11 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी होगी । इस मूल्य वर्धन का कारण थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में हुई तीव्र वृद्धि है।
भारत में दवाओं की कीमतों का विनियमन
प्रत्येक कुछ वर्षों के अंतराल पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines -NLEM) तैयार करता है।
NLEM को पहली बार 1996 में तैयार किया गया था। बाद में 2003, 2011, 2015 और 2022 में इसे संशोधित किया गया था ।
NLEM में सूचीबद्ध होने के साथ ही दवाइयां औषध मूल्य नियंत्रण आदेश (DPCO) के तहत स्वतः ही मूल्य नियंत्रण के दायरे में आ जाती हैं।
साथ ही, सरकार को चिकित्सा आवश्यकता की किसी भी मद को मूल्य नियंत्रण के तहत लाने की विशेष शक्तियां प्राप्त हैं।
इस प्रावधान का प्रयोग कार्डियक स्टेंट की कीमतों और घुटने के प्रत्यारोपण में आने वाली लागत को विनियमित करने के लिए किया गया था।
दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करने के लिए DPCO बाजार आधारित मूल्य निर्धारण तंत्र का पालन करता है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर अधिकतम मूल्य में वार्षिक वृद्धि की अनुमति दी जाती है।
हालांकि, गैर–अनुसूचित दवाओं के मामले में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि की अनुमति होती है। ऐसी दवाओं पर कोई मूल्य उच्चतम सीमा नहीं होती है।
NLEM में दवाओं को अनुसूचित श्रेणी में शामिल किया जाता है। इनकी कीमतें राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) नियंत्रित करता है।
NPPAरसायन और उर्वरक मंत्रालय में विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र निकाय है।
उच्चतम मूल्य सीमा के बारे में
उच्चतम मूल्य की गणना संबंधित दवा के कुल बाजार टर्नओवर के कम से कम 1% बाजार हिस्सेदारी वाले सभी ब्रांड्स की औसत कीमत में खुदरा विक्रेताओं के लिए लगभग 16% मार्जिन को जोड़कर की जाती है ।
स्रोत – द हिन्दू