प्रश्न – दबाव समूह क्या है ? ये भारतीय लोकतंत्र के लिए किस प्रकार से उपयोगी हैं ? – 13 July 2021
Answer –
दबाव समूह प्रशासनिक व्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। ये समूह देश की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं ताकि उनके हितों को बढ़ावा मिले या कम से कम उनके हितों की उपेक्षा न हो। भारत जैसे विकासशील देश में जहां एक तरफ विभिन्न संसाधनों की भारी कमी है और दूसरी तरफ अत्यधिक गरीबी और असमानता है, वहां प्रशासनिक व्यवस्था पर बहुत दबाव होना तय है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों का जन्म होता है। वे स्थिरता तंत्र प्रदान करते हैं और संरचनात्मक संतुलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।
दबाव समूहों की प्रकृति:
- भारत जैसे बहुधार्मिक, बहुभाषाई और लोकतांत्रिक देश में दबाव समूहों की प्रकृति उनके विविध लक्ष्यों से निर्धारित होती हैं। कुछ दबाव समूह जाति समूहों के रूप में भी देखे जा सकते हैं, कुछ सामाजिक संरचना पर आधारित दबाव समूह होते हैं, जैसे- अखिल भारतीय दलित महासभा, तमिल संघ आदि।
- दबाव समूह औपचारिक, संगठित, वृहद और सीमित दोनों ही सदस्यता वाले संगठन होते हैं। लॉबिंग के जरिए यह अपना हित साधने की कोशिश करते हैं। जैसे- फिक्की (FICCI) व एसोचैम(ASSCHAM)।
- राजनीतिक दलों के विपरीत दबाव समूहों की कार्यप्रणाली किसी विचारधारा अथवा वैचारिक लक्ष्य से संचालित नहीं होती। इनका मूल लक्ष्य हितों का संरक्षण, अभिव्यक्तिकरण, समूहीकरण, सरकार पर दबाव डालना आदि होता है।
दबाव समूहों की कार्यपद्धति:
- दबाव समूहों की कार्यपद्धति में अपने हितों का प्रचार-प्रसार, संबद्ध लोगों के साथ वार्ताएँ, लाबिंग, न्यायिक कार्यवाहियाँ, प्रदर्शन हड़तालें, याचना, बंद, धरना, पद का प्रस्ताव करना, सरकार व अधिकारियों के साथ बैठकों-गोष्ठियों आदि का उल्लेख किया जा सकता है।
- दबाव समूह अपनी मांगों को पूरा करने के लिये संबद्ध संस्थाओं व सरकार पर दबाव डालते हैं, मंत्रियों व कर्मचारियों को प्रलोभन देते हैं, चुनावों में राजनीतिक दलों को धन व कार्यकर्ताओं को सुविधाएँ देते हैं। दबाव समूह लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करते हैं।
दबाव समूह की भूमिका:
- दबाव समूह जनता एवं सरकार के मध्य एक कड़ी एवं संचार का साधन के रूप में कार्य करते हैं तथा लोकतंत्र में व्यापक भागीदारी संभव बनाते हैं।
- दबाव समूह सामाजिक एकता के प्रतीक हैं क्योंकि ये व्यक्तियों के सामान्य हितों की अभिव्यक्ति के लिये जन साधारण और निर्णय लेने वालों के बीच अंतर को कम करते हैं तथा पूरे समाज में परंपरागत विभाजन को भी कम करने का कार्य करते हैं।
- दबाव समूह एक संगठित हित समूह है जो अपने-अपने समूह के हितों के पक्ष में सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा राजनीतिक जागरूकता एवं सदस्यों की सहभागिता में वृद्धि करते हैं।
चुनौतियाँ:
- कभी-कभी ये समूह हित समूह के रूप में राष्ट्रीय एकीकरण के समक्ष खतरे भी उत्पन्न कर देते हैं। जहाँ राजनीतिक सत्ता कमजोर होती है वहाँ अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली दबाव समूह सरकारी मशीनरी को अपनी मुट्ठी में ले सकता है।
- दबाव समूह सरकारी निर्णयों को केवल अपने समूह के पक्ष में असंतुलित कर सकते हैं और शेष जन समुदाय के अधिकारों का हनन हो सकता है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दबाव समूहों को अब अनिवार्य एवं उपयोगी तत्व माना जाने लगा है। समाज काफी जटिल हो चुका है एवं व्यक्ति अपने हितों को स्वयं आगे नहीं बढ़ा सकता है। ज्यादा से ज्यादा सौदेबाजी की शक्ति प्राप्त करने के लिए उसे अन्य साथियों से समर्थन की आवश्यकता होती है एवं इससे समान हितों पर आधारित दबाव समूहों का जन्म होता है। काफी समय से इन समूहों पर ध्यान नहीं दिया गया लेकिन अब राजनीतिक प्रक्रिया में इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो चुकी है क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में परामर्श, समझौते एवं कुछ हद तक सौदे के आधार पर राजनीति चलती है। सरकार के लिए यह अतिआवश्यक है कि वह नीति-निर्माण एवं नीति कार्यान्वयन के समय इन समूहों से संपर्क करें। इसके अलावा सरकार को असंगठित लोगों के विचारों को भी जानना आवश्यक है जो लोग अपनी माँगों को दबाव समूहों के माध्यम से नहीं रख पाते हैं।