अंतर्राष्ट्रीय उत्तर–दक्षिण पारगमन गलियारे (INSTC)
ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण पारगमन गलियारे (INSTC) का उपयोग करके रूसी माल को भारत में भेजना शुरू कर दिया है।
- INSTC एक मल्टी-मॉडल परिवहन नेटवर्क है। इसका विचार पहली बार वर्ष 2000 में रूस, भारत और ईरान ने प्रस्तुत किया था। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देना है।
- INSTC सर्वप्रथम हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से जोड़ता है। इसके आगे ये रूस के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग और उत्तरी यूरोप से जुड़े हुए हैं।
- वर्तमान में, इसके 13 सदस्य हैं: भारत, ईरान, रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया,कजाकिस्तान, बेलारूस, तुर्की, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, यूक्रेन और सीरिया।
भारत के लिए INSTC का महत्व:
- भारत और रूस के बीच माल की परिवहन लागत को लगभग 30% तक कम करेगा।
- भारत और रूस के बीच परिवहन में लगने वाले समय को (स्वेज नहर के माध्यम से लगने वाले समय की तुलना में) लगभग आधा कर देगा।
- यह गलियारा भारत को मध्य एशिया और उसके परे सुगम पहुंच प्राप्त करने में मदद करेगा। इसके अलावा, व्यापार और निवेश संपर्क का विस्तार करने में भी मदद करेगा।
- वर्तमान व्यापारिक साझीदारों, (विशेष रूप से मौजूदा ऊर्जा कनेक्टिविटी) पर निर्भरता कम करेगा। यह आपूर्ति श्रृंखलाओं के फिर से व्यवस्थित होने से संभव होगा।
- इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विरुद्ध भारतीय प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा रहा है।
भारत को रूस और यूरोप से जोड़ने वाले अन्य प्रस्तावित गलियारे
- चेन्नई–व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियाराः यह भारत और रूस को जोड़ेगा।
- भारत का अरब–भूमध्यसागरीय (Arab-Med) गलियाराः यह यूनान के परेयस (Piraeus) बंदरगाह और मध्य पूर्व के माध्यम से भारत को यूरोप की मुख्य भूमि से जोड़ेगा।
स्रोत –द हिन्दू