त्र्यंबकेश्वर मंदिर घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन
महाराष्ट्र सरकार ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है।
SIT हाल ही में नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में हुई एक घटना की जांच करेगी। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर मंदिर में ‘जबरन प्रवेश करने का प्रयास किया था ।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग को हिंदू धर्म में भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
यह मंदिर ब्रम्हगिरी पर्वत की तलहटी में स्थित है। यहां से गोदावरी नदी बहती है । इसका निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ( 1740-1760 ) ने एक पुराने मंदिर के स्थान पर करवाया था।
शब्द “त्र्यंबक” त्रिदेवों (भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश) को इंगित करता है । इसका गर्भगृह, आंतरिक रूप से वर्गाकार और बाहरी रूप से एक तारकीय संरचना है। इसमें एक छोटा शिवलिंग, त्र्यंबक स्थापित है।
यह मंदिर स्थापत्यकला की नागर शैली में निर्मित है। इसका निर्माण काले पत्थर से किया गया था । यह ज्यादातर भारत के उत्तरी भागों में प्रचलित शैली है ।
मंदिर स्थापत्यकला की नागर शैली
- दक्षिण भारतीय शैली के विपरीत, इसमें आमतौर पर विस्तृत चारदीवारी या प्रवेश द्वार नहीं होते हैं ।
- गर्भगृह सदैव सबसे ऊंचे शिखर (tower) के ठीक नीचे स्थित होता है ।
- मंदिर “जगती” नामक एक पत्थर के चबूतरे पर बना होता है, जिसमें ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां होती हैं।
- इसमें कई वक्राकार शिखर होते हैं।
- लैटिना या रेखा प्रसाद, फमसाणा और वल्लभी मंदिर स्थापत्यकला की नागर शैली के प्रमुख प्रकार हैं।
स्रोत – द हिन्दू