तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर
हाल के निष्कर्षों के अनुसार, हिमालय के हिमनद एक असाधारण दर से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर क्योंकि वहा की विशाल हिम परत पिछली सात शताब्दियों की तुलना में पिछले 40 वर्षों में 10 गुना तीव्रता से संकुचित हो रही हैं।
अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद, हिमालय पर्वत श्रृंखला विश्व में हिमनदों के मामले में तीसरे स्थान पर है। इस कारण इसे ‘तीसरा ध्रुव’ भी कहा जाता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि न्यूजीलैंड, ग्रीनलैंड और पेटागोनिया के बड़े हिमनदों की तुलना में हिमालय में हिमनद अधिक तेजी से पिघल रहे हैं।
पहचाने गए कारणः ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, क्षेत्रीय जलवायु कारकों (जैसे दक्षिण एशियाई मानसून में बदलाव) आदि के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि।
हिमालय के हिमनदों के पिघलने का प्रभावः
- हिमस्खलन, बाढ़ (भारत, नेपाल और भूटान में), दक्षिण एशिया में लोगों के समक्ष कृषि के बाधित होने का खतरा, बाढ़ का खतरा एवं तटीय समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली संबंधित समस्याएं आदि।
- संबंधित अवधारणा के रूप में, काराकोरम विसंगति को हिमालय की अन्य निकटवर्ती पर्वत श्रृंखलाओं और विश्व की अन्य पर्वत श्रृंखलाओं में हिमनदों के पीछे हटने के विपरीत, केंद्रीय काराकोरम श्रेणी में हिमनदों की स्थिरता या विषम वृद्धि कहा जाता है।
स्रोत – द हिन्दू