तुलु भाषा के राज भाषा के दर्जे की मांग

तुलु भाषा के राज भाषा के दर्जे की मांग

हाल ही में,कर्नाटक और केरल राज्य द्वारा ‘तुलु’ भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करनेएवं इसे इन राज्यों की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की जा रही है।

तुलु भाषा

  • तुलु (Tulu)कर्नाटक के दो तटीय जिलों दक्षिण कन्नड़ तथा उडुपीऔर केरल के कासरगोड जिले में बोली जाने वाली एक द्रविड़ भाषा है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18,46,427 लोग तुलु भाषा बोलते हैं।‘रॉबर्ट काल्डवेल’ कीपुस्तक ‘ए कम्पेरेटिव ग्रामर ऑफ द द्रविड़ियन या साउथ-इंडियन फैमिली ऑफ लैंग्वेजेज’ में तुलु भाषा कोद्रविड़ परिवार की सबसे विकसित भाषा माना गया है।
  • तुलु भाषा का एक समृद्ध इतिहास तथा मौखिक साहित्यभी पाया जाती है।तुलु साहित्य में पद्दाना (Paddana) जैसे लोक-गीत और यक्षगान जैसे पारंपरिक लोक रंगमंच रूप सम्मिलित हैं।

संविधान की आठवीं अनुसूची:

  • भारतीय संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 से अनुच्छेद 351 तक भारत की आधिकारिक भाषाओं से संबंधित प्रावधान किया गया है।
  • अनुच्छेद 344 केअनुच्छेद 344(1) में संविधान के प्रारंभ से 5 वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
  • अनुच्छेद 351 मेंहिंदी भाषा के विकास तथा इसके प्रचार -प्रसार करने के संबंध में प्रावधान किया गया हैं, जिससे कि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।
  • वर्तमान में, संविधान की आठवीं अनुसूची में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी, सहित कुल 22 भाषाएँ शामिल है।

स्रोत – द हिन्दू

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