तुर्की में सी स्नॉट का प्रकोप
हाल ही में काला सागर (Black Sea) को एजियन सागर (Aegean Sea) से जोड़ने वाले तुर्की के ‘मरमारा सागर’ में ‘सी स्नॉट’ (Sea Snot) का सबसे बड़ा प्रकोप देखा गया है। इससे पहले तुर्की वर्ष 2007 में ‘सी स्नॉट’ का प्रकोप दर्ज किया गया था।
इसके अलावा ‘सी स्नॉट’ (Sea Snot) को निकटवर्ती ‘काले सागर’ (Black Sea) और एजियन सागर में भी देखा जा रहा है।
‘सी स्नॉट’ क्या है?
- यह समुद्री श्लेष्म (Marine Mucilage) है, जो शैवालों में पोषक तत्त्वों की अति-प्रचुरता हो जाने पर निर्मित होती है।
- शैवालों में पोषक तत्वों की अति-प्रचुरता का कारण मुख्यतः वैश्विक उष्मन, जल प्रदूषण, घरेलू और औद्योगिक कचरे के समुद्र में अनियंत्रित निर्मोचन आदि की वजह से होने वाला गर्म मौसम होता है।
- यह एक चिपचिपा, भूरा और झागदार पदार्थ जैसा दिखता है। इसकी परत धूसर वा हरे रंग की कीचड़ जैसी चिपचिपी होती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बहुत नुकसान पहुंच सकता है।
प्रभाव एवं चिंताएं:
- ‘सी स्नॉट’, समुद्र से होती हुई इस्तांबुल के दक्षिण में फ़ैल चुकी है और इसने शहर के किनारे समुद्र तटों और बंदरगाहों को ढँक लिया है।
- इसकी वजह से देश के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। ‘सी स्नॉट’ के कारण बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो चुकी है, तथा मूंगा (कोरल) और स्पंज जैसे अन्य जलीय जीव भी मरते जा रहे हैं।
- अगर इसे अनियंत्रित किया गया, तो यह समुद्री सतह के नीचे पहुँच कर समुद्र तल को ढक सकती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए व्यापक क्षति हो सकती है।
- समय के साथ, यह मछलियों, केकड़ों, सीप (oysters), कौड़ी या मसल्स (mussels) और समुद्री सितारा मछलियों सहित सभी जलीय जीवों को विषाक्त बना सकती है।
- जलीय जीवन के अलावा, ‘सी स्नॉट’ के प्रकोप से मछुआरों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
- इससे इस्तांबुल जैसे शहरों में हैजा जैसी जल-जनित बीमारियों का प्रकोप भी फ़ैल सकता है।
इसके प्रसार को रोकने हेतु तुर्की द्वारा उठाए जा रहे कदम:
- तुर्की ने संपूर्ण मरमरा सागर को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
- इसके अतरिक्त तटीय शहरों और जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और अपशिष्ट जल-उपचार में सुधार हेतु कदम उठाए जा रहे हैं।
- तुर्की में सबसे बड़ा समुद्री सफाई अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। इसमें स्थानीय निवासियों, कलाकारों तथा गैर-सरकारी संगठनों को इस अभियान में शामिल होने के लिये कहा गया है।
स्रोत : द हिन्दू