तुर्की में भारत का आपदा राहत अभियान ‘ऑपरेशन दोस्त‘
हाल ही में तुर्की में आये विनाशकारी भूकंप के पश्चात भारत द्वारा ‘ऑपरेशन दोस्त’ आपदा राहत अभियान चलाया गया है।
इस पर प्रधान मंत्री ने सीरिया और तुर्की में आपदा राहत के लिए चलाए गए अभियान ‘ऑपरेशन दोस्त’ के सदस्यों को बधाई दी है।
प्रधान मंत्री ने कहा है कि दुनिया में कहीं भी कैसी भी आपदा आती हो, भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में तैयार मिलता है
उन्होंने कहा कि भारत ने लगातार कई जगहों पर इसी तरह के राहत और बचाव अभियान चलाए हैं।
भारत द्वारा संचालित की गई कुछ मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) गतिविधियां:
- वर्ष 2014 में जल संकट से निपटने में मालदीव की मदद की गई थी;
- वर्ष 2015 में नेपाल में भूकंप से राहत व बचाव अभियान चलाया गया था;
- कोविड-19 के बाद वैक्सीन कूटनीति अपनाई गई है;
- यूक्रेन से छात्रों को बचाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ का संचालन किया गया था आदि ।
- भारत ने श्रीलंका गृहयुद्ध के बाद अपने इस पड़ोसी देश के पुनर्निर्माण में भी मदद की थी। साथ ही, कई शांति मिशनों के माध्यम से मानवीय सहायता भी पहुंचाई थी ।
- भारत की HADR क्षमताओं से युक्त कूटनीति वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन से निर्देशित है। यह कूटनीति हाल के वर्षों में काफी व्यापक गई है।
आपदा कूटनीति के लाभ:
- द्विपक्षीय संबंधों में सुधार करती है और विकासशील देशों में मददगार के रूप में भारत की छवि को मजबूत करती है ।
- यह वैश्विक संकटों में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में भारत की पहुंच और क्षमता को दर्शाती है।
- वर्ष 2004 में आई सुनामी के बाद भारत का व्यापक राहत-बचाव अभियान इसका एक उदाहरण है।
- लोगों के मध्य परस्पर संपर्क के स्तर पर क्षमता निर्माण में मदद करती है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती आपदाओं का सामना करने के लिए क्षमता और कौशल का निर्माण करती है।
आपदा कूटनीति की सीमाएं–
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ( NDRF) के पास सीमित संसाधन और कार्य बल है।
- आपदा कूटनीति का दीर्घकालिक प्रभाव सीमित रहा है। उदाहरण के लिए वर्ष 2015 में भूकंप आपदा में मदद के बाद भी भारत-नेपाल के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
स्रोत – द हिन्दू