विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में तीन स्थल शामिल

विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में तीन स्थल शामिल

  • हाल ही में भारत के तीन नए स्थलों को ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है।
  • अनंतिम सूची में गुजरात के वडनगर शहर, मोढेरा स्थित प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर और त्रिपुरा में उनाकोटी की शैलकृत ( rock cut ) मूर्तियों को शामिल किया गया है।
  • यूनेस्को की अनंतिम सूची उन धरोहरों की एक सूची है, जिन्हें प्रत्येक पक्षकार देश विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने का इच्छुक होता है। इस सूची में शामिल होने के बाद यूनेस्को इन्हें विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान करने पर विचार करता है ।
  • अनंतिम सूची में अब भारत के 52 स्थल दर्ज हो गए हैं।

तीन नए स्थलों के बारे में

वडनगर शहर (गुजरात)

  • वडनगर गुजरात के मेहसाणा जिले के अंतर्गत एक नगर पालिका है। इसके उत्तर-पूर्वी किनारे पर शर्मिष्ठा झील स्थित है।
  • यह एक बहुस्तरीय और बहु- सांस्कृतिक व्यापारिक बस्ती है। इस नगर का इतिहास लगभग 8वीं शताब्दी ई.पू. से शुरू होता है।
  • वडनगर में दो प्रमुख प्राचीन व्यापार मार्ग एक-दूसरे को काटते थे।
  • उनमें से एक मध्य भारत को सिंध से और आगे उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों से जोड़ता था। दूसरा मार्ग गुजरात तट पर स्थित बंदरगाह शहरों को उत्तर भारत से जोड़ता था ।
  • 640 ईस्वी में चीनी बौद्ध यात्री ह्वेन त्सांग ने इस शहर का दौरा किया और कहा जाता है कि उसने अपने यात्रा वृत्तांत में इसका उल्लेख किया है।
  • वर्ष 2008-09 में खुदाई के दौरान वड़नगर में एक बौद्ध मठ के अवशेष भी मिले थे।
  • ताना रीरी परफॉर्मिंग आर्ट्स कॉलेज वड़नगर में है, जिसका नाम दो बहनों, ताना और रीरी की वीरता के सम्मान में रखा गया था।
  • अकबर द्वारा अपने दरबार में गाने के लिये कहने पर उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी क्योंकि यह उनके रिवाज के खिलाफ था।

मोढेरा का सूर्य मंदिर (गुजरात)

  • यह गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के बाएं तट पर स्थित है । पुष्पावती रूपन नदी की एक सहायक नदी है ।
  • इस मंदिर का निर्माण चालुक्य (सोलंकी) राजा भीमदेव प्रथम (1022 -1063 ई.) के शासन काल के दौरान 1026-27 ई. में हुआ था।
  • यह मंदिर मारू – गुर्जर स्थापत्य शैली में निर्मित है।
  • इस मुख्य मंदिर में शामिल हैं- गर्भगृह, एक सभागार ( गढ़मंडप ), बाहरी सभाकक्ष ( सभामंडप या रंगमंडप ) और एक पवित्र सरोवर (कुंड), जिसे अब रामकुंड कहा जाता है ।
  • इसका निर्माण चमकीले पीले बलुआ पत्थर से हुआ है ।
  • इस मंदिर की मूर्तिकला में तीन देव – समूहों की आदमकद प्रतिमाएं शामिल हैं। ये देव समूह हैं- आदित्य, लोकपाल और देवियां ।
  • रामकुंडा एक विशाल आयताकार सीढ़ीदार जलाशय है जो शायद भारत का सबसे भव्य मंदिर जलाशय है।
  • प्रतिवर्ष विषुव (Equinoxes) के समय सूर्य की किरणें सीधे इस मंदिर के केंद्र/गर्भभाग पर पड़ती हैं।

उनाकोटी श्रृंखला में शैलकृत मूर्तियां और उभरी हुई नक्काशियां

  • यह त्रिपुरा के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है । उनाकोटी का शाब्दिक अर्थ है- “एक करोड़ से एक कम” ।
  • यह त्रिपुरा में 8वीं – 9वीं शताब्दी ईस्वी से शैव उपासना का प्राचीन प्रमाण प्रस्तुत करता है ।
  • इस स्थल पर चट्टानों पर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों को उकेरा गया है।
  • उनाकोटि की इस मूर्तिकला को चट्टानों को काटकर बनाई गई (शैलकृत) मूर्तियां तथा अलग-अलग मूर्तियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • प्रसिद्ध आकृतियों और मूर्तियों में शामिल हैं- उनाकोटीश्वर काल भैरव, गंगाधर, बोधिसत्व का चित्रण, चतुर्मुखलिंग और एकमुखी लिंग आदि ।
  • उनाकोटी में एक जलधारा तीन कुंड का निर्माण करती है। ये तीनों कुंड वार्षिक अशोकाष्टमी मेले का हिस्सा हैं।
  • ‘अशोकाष्टमी मेला’ के नाम से प्रसिद्ध एक भव्य मेला प्रतिवर्ष अप्रैल के महीने में आयोजित किया जाता है, जिसमें हज़ारों तीर्थयात्री आते हैं।

विश्व विरासत स्थल के बारे में

  • विश्व विरासत सूची (World Heritage List)यूनेस्को द्वारा वर्ष 1972 में अपनाई गई ‘विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है।
  • यह पूरे विश्व में उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्यों के प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।

इसमें तीन प्रकार के स्थल शामिल हैं:

  • सांस्कृतिक : इन स्थलों में ऐतिहासिक इमारत, शहर स्थल, महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल, स्मारकीय मूर्तिकला और पेंटिंग कार्य शामिल किये जाते हैं।
  • प्राकृतिक : इनमें उत्कृष्ट पारिस्थितिक और विकासवादी प्रक्रियाएँ, अद्वितीय प्राकृतिक घटनाएँ, दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास स्थल आदि शामिल किये जाते हैं।
  • मिश्रित : मिश्रित विरासत (Mixed Heritage) स्थलों में प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों प्रकार के महत्त्वपूर्ण तत्त्व शामिल होते हैं।
  • भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 विरासत धरोहर स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं। इनमें शामिल धौलावीरा का हड़प्पा शहर और काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर सबसे नए हैं।

स्रोत – द हिन्दू   

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