तस्मानियाई बाघ (थायलासीन)
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने जीन-संपादन तकनीक का उपयोग करके ‘तस्मानियाई बाघ’ को पुनर्जीवित करने के लिए एक परियोजना आरंभ की है।
इस परियोजना का उद्देश्य इस तस्मानिया के नष्ट हुए पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्बहाल करने के लिए इस जीव को उसके मूल स्थान तस्मानिया में ही पुनर्जीवित करना है।
यह एक मार्सपियल है, जो 1930 के दशक में विलुप्त हो गया था।
मार्सपियल को शिशुधानी स्तनधारियों का रूप माना जाता है।
ये विविपेरस जीव हैं अर्थात जीवित जन्म देते हैं न कि अंडे लेकिन इनका गर्भनालयुक्त स्तनपाइयों (placental mammals) की तरह लंबा गर्भकाल नहीं होता है।
यह तस्मानियाई क्षेत्र का शीर्ष शिकारी जीव था। खाद्य श्रृंखला से इसके गायब होने के परिणामस्वरूप ‘ट्रॉफिक डाउनग्रेडिंग’ हुआ है। इसके फलस्वरूप अन्य प्रजातियों की क्षति या घातीय वृद्धि, वनाग्नि, आक्रामक प्रजातियों की बढ़ोतरी आदि देखने को मिली है
ट्रॉफिक डाउनग्रेडिंग एक पारिस्थितिकी तंत्र से शीर्ष शिकारी जीव के विलोपन की घटना है।
स्रोत –द हिन्दू