तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर रिपोर्ट

तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर रिपोर्ट

हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि क्या भारत के तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम सफल रहे हैं।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • राष्ट्रीय तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (NCZMA) को अभी तक एक स्थायी संस्था के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है। अभी भी यह एक तदर्थ (अस्थायी) निकाय के रूप में ही कार्य कर रहा है।
  • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरणों (SCZMAs/UTCZMAs) का पुनर्गठन नहीं किया गया है (जैसे- कर्नाटक)। कुछ राज्यों में इसे देरी से पुनर्गठित (गोवा, ओडिशा और पश्चिम बंगाल) किया गया है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट में आपत्तियों के बावजूद परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
  • तटीय राज्यों द्वारा गंभीर रूप से संवेदनशील तटीय क्षेत्रों के लिए एकीकृत प्रबंधन योजना तैयार किया जाना बाकी है।

प्रमुख सिफारिशें

  • SCZMA और NCZMA को स्थायी संस्थाएं बनाया जाना चाहिए।
  • किसी परियोजना को मंजूरी देने से पहले गहन पारिस्थितिकी आकलन किया जाना चाहिए।
  • प्रवाल भित्तियों, कछुओं के नेस्टिग स्थलों आदि का मानचित्र तैयार कर इनके लिए प्रबंधन योजना बनाई जानी चाहिए।

भारत में तटीय क्षेत्रों का संरक्षण

  • तटों पर गतिविधियों को विनियमित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचनाएं जारी की गई हैं।
  • तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना (CRZ), 2019 अवसंरचना गतिविधियों के प्रबंधन और उन्हें विनियमित करने के लिए तटीय क्षेत्र को अलग-अलग क्षेत्रों में वर्गीकृत करती है।

CRZ के कार्यान्वयन के लिए तीन संस्थान जिम्मेदार हैं:

  1. केंद्र में National Coastal Zone Management Authority -NCZMA,
  2. प्रत्येक तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में SCZMA/UTCZMA, तथा
  3. तटीय क्षेत्र वाले जिलों में जिला स्तरीय समितियां।

तटीय पारिस्थितिकी क्षेत्र

  • CRZI: इसके तहत पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं।
  • CRZII: मौजूदा नगरपालिका सीमाओं/अन्य शहरी क्षेत्रों के भीतर के क्षेत्र जो पर्याप्त रूप से निर्मित हैं।
  • CRZIII: इसमें आमतौर पर अबाधित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र शामिल हैं, जो CRZ-I या II से संबंधित नहीं हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के तटीय क्षेत्र, मौजूदा नगरपालिका सीमा के भीतर के क्षेत्र या अन्य शहरी क्षेत्र शामिल हैं, जो पर्याप्त रूप से निर्मित नहीं हैं।
  • CRZIV: इसमें निम्न ज्वार रेखा से समुद्र की ओर बारह समुद्री मील तक का क्षेत्र और ज्वार से प्रभावित अंतर्देशीय जल क्षेत्र शामिल हैं।

स्रोत द हिन्दू

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