तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023
हाल ही में लोक सभा में तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 प्रस्तुत किया गया है।
इस विधेयक को मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य तटीय जलकृषि प्राधिकरण (CAA) अधिनियम, 2005 में संशोधन करना है ।
- यह विधेयक तटीय क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण नियमों को कमजोर किए बिना तटीय जलकृषि के दायरे का विस्तार करने, विनियामक अंतराल को दूर करने और विनियामक संबंधी अनुपालन बोझ को कम करने का प्रयास करता है।
- वर्ष 2005 के CAA अधिनियम द्वारा तटीय जलकृषि प्राधिकरण की स्थापना की गई थी । इसे तटीय जलीय कृषि से जुड़ी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए स्थापित किया गया था ।
- यह प्राधिकरण तटीय जलीय कृषि को विनियमित करता है, लाइसेंस प्रदान करता है और संधारणीय विकास के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
- इसका मुख्यालय चेन्नई में स्थित है।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
- व्यवसाय करने की सुगमता को बढ़ावा देने के लिए अधिनियम के तहत कई तरह के कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है। इसके अलावा, CAA की कामकाज प्रक्रियाओं को भी बेहतर करने का प्रयास किया गया है।
- नवीनतम संशोधन के बाद अपराधों के मामले में केवल 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है तथा किसी भी तरह के कारावास की सजा नहीं दी जाएगी।
- रोजगार सृजित करने के लिए केज कल्चर, समुद्री सिवार (सी – वीड) कल्चर और बाई- वाल्व कल्चर जैसी पर्यावरण के अनुकूल जलीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाएगा ।
- मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए तटीय जलीय कृषि में हानिकारक एंटीबायोटिक दवाओं और औषधीय रूप से सक्रिय पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
- जलीय कृषि क्षेत्रों की मैपिंग और क्षेत्र निर्धारण तथा सुरक्षित जलीय कृषि उत्पादों सहित विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जाएगा।
- जलीय कृषि (Aquaculture) में मछली, शेलफिश आदि मानव उपभोग योग्य समुद्री जीवों का पालन, ब्रीडिंग व हार्वेस्टिंग की जाती है। साथ ही, समुद्री पादपों की भी खेती की जाती है।
- वर्ष 2021-22 में झींगा उत्पादन और समुद्री खाद्य निर्यात में वृद्धि हुई है।
स्रोत – द हिन्दू