डोपिंग की समस्या समाधान हेतु त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर
हाल ही में खेलों में डोपिंग की समस्या के समाधान के लिए त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
- युवा ‘कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) तथा राष्ट्रीय औषधि शिक्षा और अनुसंधान संस्थान हैदराबाद ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इसके उद्देश्य भारत में पोषण प्रदान करने वाले सप्लीमेंट्स की परीक्षण क्षमता का निर्माण करना, डोपिंग रोधी डोमेन में अनुसंधान के अवसरों को बढ़ावा देना, डोप मुक्त पोषक सप्लीमेंट्स उपलब्ध करवाना आदि हैं।
- डोपिंग, एथलीटों द्वारा अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन को कहा जाता है।
डोपिंग में प्रयुक्त कुछ प्रमुख पदार्थ निम्नलिखित हैं:
- एंड्रोजेनिक एजेंट्स जैसे कि एनाबॉलिक स्टेरॉयड : यह एथलीटों को कठिन प्रशिक्षण करने और अधिक मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है।
- उत्तेजक: यह हृदय गति और रक्त प्रवाह को बढ़ाकर एथलीटों की थकान छिपाने में मदद करता है ।
- ड्यूरेटिक (मूत्रवर्धक) और मास्किंग एजेंट: इसे शरीर से तरल पदार्थ को उत्सर्जित करने के लिए उपयोग किया जाता है । यह अन्य नशीली दवाओं के उपयोग को छुपा सकता है और वजन कम करने में (अवास्तविक रूप से) भी मदद कर सकता है।
- जीन डोपिंग: यह प्रदर्शन में सुधार करने वाले पदार्थों के उपयोग से शरीर की कोशिकाओं या जीनों में हेरफेर करता है।
- ब्लड डोपिंग: इसमें रक्त को पहले शरीर से निकाला जाता है फिर वापस शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, ताकि ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाया जा सके।
खेलों में डोपिंग की निगरानी-
- विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) सभी प्रकार के प्रतिस्पर्धी खेलों में डोपिंग की निगरानी करती है।
- राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) गठित की गई है। इसे राष्ट्रीय डोपिंग रोधी अधिनियम, 2022 के तहत वैधानिक मान्यता प्रदान की गई है।
स्रोत – पी.आई.बी.