डॉप्लर वेदर रडार

डॉप्लर वेदर रडार

हिमालय पर मौसम के बदलावों की बारीकी से निगरानी के लिए हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने दस में से दो स्वदेश निर्मित ‘एक्स-बैंड डॉप्लर वेदर रडार्स’ डीडब्लूआर का ऑनलाइन उद्घाटन किया।

इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से विकसित एक ‘बहु-मिशन मौसम संबंधी डेटा प्रसंस्करण प्रणाली’ भी लॉन्च की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • डीडब्लूआरकी डिज़ाइनिंग और विकास का कार्य इसरो द्वारा किया गया है और इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल), बंगलुरू द्वारा किया गया है।
  • मध्य और पश्चिमी हिमालय को कवर करते हुए ये द्विध्रुवीकृत रडार वायुमंडलीय बदलाव संबंधी डेटा एकत्रित करेंगे और चरम मौसमी घटनाओं के संकेत देंगे।
  • उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने, भूस्खलन, भारी बारिश और बर्फबारी का खतरा बना रहता है।
  • बादल फटने की घटना का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल होता हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बादल फटने की घटना का अनुमान नाउकास्ट पद्धति के द्वारा ऐसा होने के कुछ ही घंटों पहले लगाया जा सकता है।

डॉप्लर रडार: यह एक विशेष रडार है जो एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित वस्तुओं के वेग से संबंधित आँकड़ों को एकत्रित करने के लिये डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है।

रडार:यह एक ऐसा उपकरण है जो स्थान (गति और दिशा), ऊँचाई और तीव्रता, गतिमान एवं गैर-गतिमान वस्तुओं की आवाजाही का पता लगाने के लिये सूक्ष्म तरंगीय क्षेत्र में विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग करता है।

डॉप्लर प्रभाव:

जब स्रोत और संकेत एक-दूसरे के सापेक्ष गति करते हैं तो पर्यवेक्षक द्वारा देखी जाने वाली आवृत्ति में परिवर्तन होता है। यदि वे एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे होते हैं तो आवृत्ति बढ़ जाती है और दूर जाते हैं तो आवृत्ति घट जाती है।

यह एक वांछित लक्ष्य (वस्तु) को माइक्रोवेव सिग्नल के माध्यम से लक्षित करता है और विश्लेषण करता है कि लक्षित वस्तु की गति ने वापस आने वाले सिग्नलों की आवृत्ति को कैसे बदल दिया है।

डॉप्लर वेदर रडार

डॉप्लर सिद्धांत के आधार पर रडार को एक ‘पैराबॉलिक डिश एंटीना’और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोमका उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

DWR में वर्षा की तीव्रता, वायु प्रवणता और वेग को मापने के उपकरण लगे होते हैं जो चक्रवात के केंद्र और धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं।

डॉप्लर रडार के प्रकार:  डॉप्लर रडार को तरंगदैर्ध्य के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे- एल( L), एस(S), सी(C), एक्स(X), के(K)।

X-बैंड रडार:

ये 2.5-4 सेमी. की तरंगदैर्ध्य और 8-12 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्य करते हैं। छोटे तरंगदैर्ध्य के कारण X-बैंड रडार अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जो सूक्ष्म कणों का पता लगाने में सक्षम होते हैं।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course