डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने संबंधी नियम पर रोक
हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन के तौर पर केवल जेनेरिक दवाएं लिखने संबंधी नियम पर रोक लगा दी है।
पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) विनियम, 2023 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाएं ही लिखनी होंगी । NMC ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी है।
जेनेरिक दवा ‘ऐसे दवा उत्पाद हैं जो खुराक, प्रभाव क्षमता, दवा देने के तरीके, गुणवत्ता, प्रभाव संबंधी विशेषता तथा इच्छित उपयोग के मामले में ब्रांडेड / सूचीबद्ध दवाओं के समान ही होते हैं ।
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 तथा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 में जेनेरिक दवाओं की कोई परिभाषा नहीं दी गई है।
किसी ब्रांडेड दवा का पेटेंट समाप्त होने के बाद इसका जेनेरिक दवा के रूप में विपणन किया जा सकता है। हालांकि, भारतीय पेटेंट अधिनियम के तहत अनिवार्य लाइसेंस का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान के अंतर्गत किसी भी तात्कालिकता के दौरान सहमति के बिना भी दवा का निर्माण किया जा सकता है।
भारत के लिए जेनेरिक दवा का महत्व:
- महत्वपूर्ण दवाओं की पहुंच और उपलब्धता में सुधार होता है।
- इसकी अपेक्षाकृत सस्ती कीमत के कारण स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी आ सकती है।
- अक्सर एक ही उत्पाद के लिए कई जेनेरिक दवाओं को मंजूरी दे दी जाती है, जिससे प्रतिस्पर्धा पैदा होती है।
- वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 20-22 प्रतिशत है।
चुनौतियां:
- गुणवत्तापूर्ण परीक्षण सुविधाओं का अभाव, पेटेंट की निरंतर एवरग्रीनिंग,
- मुख्य प्रारंभिक सामग्रियों के लिए उच्च आयात निर्भरता,
- नकली दवाओं के विक्रेता आदि ।
जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
- प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं ।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आवश्यक जेनेरिक दवाओं को मुफ्त में देने पर विचार किया जा रहा है।
स्रोत – द हिन्दू