हाल ही में सहकारिता मंत्रालय ने ‘डेयरी सहकार योजना’ आरंभ की है ।
इसका उद्देश्य ‘सहयोग से समृद्धि’ तक के विचार को साकार करना है। साथ ही, ‘किसानों की आय को दोगुना करना’ तथा आत्मनिर्भर भारत के समग्र उद्देश्यों के तहत भारत में डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने के मौजूदा प्रयासों को समर्थन प्रदान करना है।
वर्ष 2019-20 में 198.4 मिलियन मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन (विश्व में सर्वाधिक) के साथ डेयरी क्षेत्र, भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 4% का योगदान करता है।
डेयरी सहकार योजना के बारे में
- डेयरी सहकार योजना को 5000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) क्रियान्वित करेगा।
- NCDC द्वारा गोजातीय विकास, दुग्ध खरीद, प्रसंस्करण, गुणवत्ता आश्वासन, मूल्य संवर्धन आदि गतिविधियों के लिए पात्र सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान कीजाएगी।
- भारत सरकार और/या राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन/विकास एजेंसियों/द्विपक्षीय/बहुपक्षीय सहायता/निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) की विभिन्न योजनाओं के साथ इस योजना का अभिसरण भी किया जाएगा।
डेयरी क्षेत्र के लिए अन्य महत्वपूर्ण पहल
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) और डेयरीअवसंरचना विकास कोष(DIDF)
- राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (NDLM)
डेयरी क्षेत्र की समस्याएं
- अत्यधिक असंगठितः लगभग 60% अधिशेष दूध असंगठित क्षेत्र (दूधवालों) द्वारा नियंत्रित है।
- निम्न उत्पादकताः भारत में गायों से औसत दूध उत्पादन, अमेरिकी गायों की तुलना में बहुत कम है। वार्षिक प्रति गाय 10,000 किलोग्राम दूध (अमेरिका) की तुलना में 1,248 किलोग्राम दूध प्रति वर्ष (भारत)।
- अन्य मुद्देः प्रौद्योगिकी का अभाव, उच्च अपव्यय और दूध की अपर्याप्त गुणवत्ता एवं मात्रा आदि।
स्रोत – द हिन्दू