डेंगू संक्रमण का भौगोलिक प्रसार

डेंगू संक्रमण का भौगोलिक प्रसार

हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने पुष्टि की है कि डेंगू संक्रमण का भौगोलिक प्रसार 2001 के आठ राज्यों से बढ़कर पूरे देश में हो गया है।

  • ICMR ने पुष्टि की है कि पिछले दो दशकों में डेंगू मामलों में 11 गुना वृद्धि और इसके बारम्बार प्रकोप से इस रोग के भौगोलिक प्रसार का विस्तार हुआ है।
  • यह रोग अब 100 से अधिक देशों में स्थानिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की आधी आबादी अब इसके संक्रमण के खतरे में है ।
  • जलवायु परिवर्तन, तापमान नियंत्रित शहरीकृत वातावरण, कीट-विज्ञान विशेषज्ञों की कमी आदि ने डेंगू के जोखिम को बढ़ा दिया है।
  • डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति और कुछ हद तक एडीज एल्बोपिक्टस प्रजाति के मादा मच्छरों से फैलता है। ये मच्छर चिकनगुनिया, पीत ज्वर और जीका वायरस के वाहक भी हैं।

एडीज जनित रोग के नियंत्रण में समस्याएं:

  • ये मच्छर दिन के समय और कई बार काटते हैं,
  • इनक्यूबेशन अवधि लंबी होती है और अंडे एक वर्ष तक संरक्षित रहते हैं,
  • ये मच्छर तेजी से दूरी तय करते हैं और इनमें कंटेनर ब्रीडिंग (कूलर, गमले आदि में मौजूद जल में प्रजनन) की प्रवृत्ति होती है,
  • मानव परिवेश और रुक रुक कर जल आपूर्ति,
  • निर्माण स्थलों पर खराब अपशिष्ट प्रबंधन आदि ।

आगे की राहः

  • टीके विकसित करना,
  • जागरूकता और रोकथाम को बढ़ावा देना,
  • लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना,
  • रोग के प्रति सुभेद्य क्षेत्रों का मानचित्रण करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आदि ।

स्रोत – द हिन्दू

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