एससीओ सदस्यों ने भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना प्रस्ताव को अपनाया
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्यों ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पर भारत के प्रस्ताव को अपनाया है।
यह स्वीकृति डिजिटल क्षेत्र में भारत के बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित करती है। साथ ही, डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने और डिजिटल रूप से कनेक्टेड अधिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों को मान्यता देती है।
इस प्रस्ताव में आधार एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और डिजीलॉकर जैसे DPI प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इससे पहले केंद्रीय बजट 2023-24 में कृषि, शिक्षा और वित्त क्षेत्रकों में DPI के लिए योजनाओं की घोषणा की गई थी।
DPI का तात्पर्य साझा डिजिटल बिल्डिंग ब्लॉक्स के एक सेट से है, जैसे एप्लीकेशंस, सिस्टम्स और प्लेटफॉर्म्स ये इंटरऑपरेबल ओपन स्टैंडर्ड्स या स्पेसिफिकेशंस द्वारा संचालित होते हैं।
भारत में आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले DPls को सामूहिक रूप से इंडिया स्टैक के नाम से जाना जाता है।
इसके तीन अलग-अलग स्तर हैं-
- विशिष्ट पहचान (आधार);
- बेहतर भुगतान प्रणाली (एकीकृत भुगतान इंटरफेस, आधार भुगतान ब्रिज, आधार सक्षम भुगतान सेवा आदि); तथा
- डेटा एक्सचेंज (डिजिलॉकर और अकाउंट एग्रीगेटर ) ।
DPI के लाभ –
- आधार के उपयोग से कोविड महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़े भुगतानों को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में सहजता से हस्तांतरित किया गया था।
- इससे लीकेज को कम करने, भ्रष्टाचार को रोकने, सरकारी योजनाओं में कवरेज बढ़ाने आदि में मदद मिली है।
- डिजिटल भुगतान के उपयोग से छोटे व्यापारियों को ग्राहकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली है। इसके अतिरिक्त, व्यक्तियों और कंपनियों की वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित हुई है।
- डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में भी मदद मिली है। जुलाई 2017 और मार्च 2022 के बीच GST भुगतान के लिए 8 मिलियन नए करदाताओं का पंजीकरण इसका प्रमाण है।
- CoWIN प्लेटफॉर्म की वजह से भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को तीव्र गति से आगे बढ़ाने में मदद मिली है।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स