डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक को मंजूरी
हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने “डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक” को मंजूरी दे दी है।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक एक प्रस्तावित कानून है । यह व्यक्तिगत डेटा के संबंध में नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है।
साथ ही, संग्रहित डेटा का कानूनी रूप से उपयोग करने के डेटा फिड्यूशरी के दायित्वों को भी निर्धारित करता है।
इस तरह के विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया 2017 में के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में निर्णय आने के साथ शुरू हुई थी ।
इस निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘निजता का अधिकार (Right to privacy) जीवन और दैहिक स्वतंत्रता के तहत एक मौलिक अधिकार है ।
डेटा फिड्यूशियरी: व्यक्ति के निजी डेटा की प्रोसेसिंग के उद्देश्य और उसके तरीके को निर्धारित करने वाली संस्था (व्यक्ति, कंपनी, फर्म, राज्य आदि) को डेटा फिड्यूशियरी कहा गया है।
DPDP का नवीनतम मसौदा नवंबर 2022 में जारी किया गया था । यह मसौदा डेटा अर्थव्यवस्था के निम्नलिखित सात सिद्धांतों पर केंद्रित है-
- व्यक्तिगत डेटा का कानूनी और निष्पक्ष संग्रह व उपयोग;
- व्यक्तिगत डेटा का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए हो, जिसके लिए उसे एकत्र किया गया है;
- डेटा न्यूनीकरण – केवल उतने ही डेटा का संग्रह, जो किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए जरूरी है;
- व्यक्तिगत डेटा की सटीकता;
- अनिवार्य अवधि तक ही डेटा को स्टोर रखने की अनुमति
- डेटा का अनधिकृत संग्रह या प्रसंस्करण न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए; तथा
- डेटा प्रोसेसिंग के उद्देश्य और साधनों को तय करने वाले व्यक्ति की जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए।
डेटा के संरक्षण पर कानून की आवश्यकता क्यों है?
- साइबर हमलों और संवेदनशील डेटा के लीक होने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
- सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत डेटा को विनियमित करने की आवश्यकता है।
- सूचनाएं बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर जा रही हैं।
स्रोत – द हिन्दू