डार्क मैटर
हाल ही में डार्क मैटर डिटेक्टर LUX-ZEPLIN (LZ) ने अपना पहला परिणाम जारी किया है।
विदित हो कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, सर्वाधिक संवेदनशील डार्क मैटर डिटेक्टर प्रयोगों में से एक ‘LUX-ZEPLIN’ (LZ) का उपयोग ब्रह्मांड में ‘डार्क मैटर’ (Dark Matter) के प्रमाण खोजने के लिए किया जा रहा है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में LZ डिटेक्टर के परीक्षण से यह पता चला है कि यह अब तक बनाया गया सबसे संवेदनशील डार्क मैटर डिटेक्टर है।
- जो ब्रह्मांड हमें दिखाई देता है, उसमें पृथ्वी, सूर्य, अन्य तारे और आकाशगंगाएं शामिल हैं। यह दृश्यमान ब्रह्मांड प्रोटॉन, न्यूट्रॉन तथा इलेक्ट्रॉनों से बना है। ये सभी परमाणुओं में एक साथ बंधे हुए हैं।
- बेरियोनिक पदार्थ को “ऑर्डिनरी (साधारण) मैटर” भी कहा जाता है। यह पदार्थ ब्रह्मांड के द्रव्यमान के 5 प्रतिशत से भी कम है।
- ब्रह्मांड में दृश्यमान पदार्थ को ही बेरियोनिक पदार्थ कहा जाता है। शेष ब्रह्मांड एक रहस्यमय अदृश्य पदार्थ से बना हुआ है। इस अदृश्य पदार्थ को ही डार्क मैटर कहा जाता है। डार्क मैटर ब्रह्मांड का 25% भाग है।
- ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण को पीछे हटाने वाला (विकर्षित करने वाला) बल डार्क एनर्जी कहलाता है। ब्रह्मांड का 70 प्रतिशत भाग डार्क एनर्जी से निर्मित है।
- ऑर्डिनरी मैटर के विपरीत, डार्क मैटर विद्युत चुम्बकीय बल के साथ अंतर-क्रिया नहीं करता है। इसका अर्थ है कि यह न तो प्रकाश को अवशोषित करता है, तथा न ही परावर्तित (Reflect) या उत्सर्जित करता है। इस कारण इसे पहचानना अत्यधिक कठिन हो जाता है।
- वैज्ञानिक दिखाई देने वाले पिंडों पर डार्क मैटर के पड़ने वाले प्रभावों का अवलोकन करके डार्क मैटर का अध्ययन करते हैं।
डार्क मैटर के अध्ययन का महत्व
- यह आकाशगंगाओं के भीतर तारों की अस्पष्ट गतियों के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- यह ब्रह्मांड के विकास और तारों, ग्रहों आदि की उत्पत्ति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
LUX-ZEPLIN (LZ) डिटेक्टर के बारे में
- यह एक भूमिगत डिटेक्टर है। इसे कमजोर रूप से अंतक्रिया करने वाले विशालकाय कणों (WIMPs) के रूप में डार्क मैटर का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इस डिटेक्टर में एक विशाल टाइटेनियम टैंक है। इसमें अत्यंत शुद्ध तरल जेनान भरा होता है।
- LZ का केंद्र पृथ्वी के सबसे शुद्ध स्थानों में से एक है। यहां सबसे शुद्ध स्थान का अर्थ है विकिरण और धूल से मुक्त स्थान।
- इस डिटेक्टर में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल और कोरिया के वैज्ञानिक एवं संस्थान सहयोग कर रहे हैं।
स्रोत –द हिन्दू