देश के पहले डाइमिथाइल ईथर (DME) ईंधन चालित ट्रैक्टर
हाल ही में देश के पहले डाइमिथाइल ईथर (DME) ईंधन चालित ट्रैक्टर से स्वच्छ ईंधन अनुप्रयोगों के एक नए युग की शुरुआत हुई है।
IIT कानपुर के शोधकर्ताओं ने मैकेनिकल फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम से युक्त शत प्रतिशत DME ईंधन चालित इंजन विकसित किया है।
यह नवाचार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीन विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) द्वारा समर्थित था। साथ ही, यह नीति आयोग के “मेथनॉल अर्थव्यवस्था” कार्यक्रम के भी अनुरूप था।
DME के बारे में
- यह सामान्य परिस्थितियों में एक रंगहीन, गैर – विषाक्त व अत्यधिक ज्वलनशील गैस है, लेकिन थोड़ा सा भी दबाव डालने पर यह तरल रूप में परिवर्तित हो जाती है ।
- DME को मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस, जैविक अपशिष्ट या बायोमास को सिंथेसिस गैस (सिनगैस) में परिवर्तित करके उत्पादित किया जाता है । सिनगैस कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण है ।
- DME के गुण तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) के समान होते हैं। इसका उपयोग डीजल के विकल्प के रूप में, रासायनिक उद्योग में और एरोसोल प्रोपेलेंट के रूप में किया जाता है ।
DME के लाभ:
- यह उच्च ब्रेक थर्मल दक्षता का प्रदर्शन करता है। इसके अलावा, इस ईंधन की सीटेन संख्या भी बहुत अधिक होती है ।
- यह हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड का बहुत कम उत्सर्जन करता है। साथ ही, बहुत कम मात्रा में कालिख (soof) उत्पन्न करता है ।
- यह ईंधन का एक नवीकरणीय रूप है तथा भारत के तेल आयात बिल को कम करने में मदद कर सकता है ।
- यह वास्तव में कणीय उत्सर्जन (Particulate Emissions) को समाप्त कर सकता है। इसका कारण यह है कि इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच बंध (Bond) नहीं पाया जाता है।
DME से जुड़ी चुनौतियां:
- इसका ऊर्जा घनत्व कम होता है, इस ईंधन का कैलोरी मान कम होता है,
- एंटी-नॉक (अपस्फोटरोधी) प्रदर्शन कमजोर है, एवं इंजन में कुछ बदलावों की आवश्यकता होती है, आदि।
स्रोत – डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक.