ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल – करप्शन परसेप्शन इंडेक्स रिपोर्ट 2020
हाल ही में एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा तैयार एक भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (2020) जारी किया गया है।
भ्रष्टाचार बोध सूचकांकक्या है?
- यह भ्रष्टाचार के क्षेत्र में विश्व के देशों की रैंकिग करने के लिए 12 सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार किया गया एक संयुक्त सूचकांक है।
- वर्ष 1995 में स्थापना के बाद से करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार का प्रमुख वैश्विक संकेतक बन गया है। यह सूचकांक दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग के आधार पर भ्रष्टाचार के सापेक्ष एक वार्षिक रिपोर्ट प्रदान करता है।
- वर्तमान में इसके तहत 180 देशों की रैंकिंग की जाती है। रैंकिंग के लिये इस सूचकांक में 0 से 100 के पैमाने का उपयोग किया जाता है, जहाँ शून्य अत्यधिक भ्रष्ट स्थिति को दर्शाता है, वहीं 100 भ्रष्टाचारमुक्त स्थिति को दर्शाता है।
- यह सूचकांक भ्रष्टाचार की धारणाओं का एक बेंचमार्क मापक बन चुका है और कई विश्लेषकों एवं निवेशकों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है।
- यह सूचकांक, सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर विशेषज्ञ राय पर भी आधारित होता है और इसमें, सरकारी नेताओं को भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है या नहीं, रिश्वत का प्रचलन तथा नागरिकों की जरूरतों पर सार्वजनिक संस्थानों की प्रतिक्रिया, जैसे कई कारकों को शामिल किया जाता है।
भ्रष्टाचार बोध सूचकांक-2020 में भारत का प्रदर्शन:
- वर्ष 2020 के भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (सीपीआई) में 180 देशों में भारत 86वें नंबर पर है।
- सूचकांक में भारत का स्कोर, एशिया-प्रशांत क्षेत्र (31 देशों) के औसत स्कोर एवं वैश्विक औसत से कम है।
- सूचकांक में चीन को 78 वें स्थान पर रखा गया है, जोकि भारत से दो स्थान ऊपर है।
- पाकिस्तान को सूचकांक में 144 वें स्थान प्रदान किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- भ्रष्टाचार बोध सूचकांक में न्यूजीलैंड और डेनमार्क (88) को संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है, इसके बाद स्विट्जरलैंड, फिनलैंड, स्वीडन और सिंगापुर (प्रत्येक के लिए 85 अंक) का स्थान है।
- दक्षिण सूडान और सोमालिया, दोनों 12 अंकों के साथ वैश्विक रैंकिंग में संयुक्त रूप से सबसे निचले स्तर पर रहे।
भ्रष्टाचार और कोविड-19:
- भ्रष्टाचार बोध सूचकांकके नवीनतम संस्करण ने कोविड -19 से निपटने के लिए सरकार की प्रतिक्रियाओं पर भ्रष्टाचार के प्रभाव को उजागर किया है। सूचकांक में, देशों के मध्य स्वास्थ्य देखभाल में निवेश तथा महामारी के दौरान लोकतांत्रिक मानदंडों तथा संस्थाओं की मजबूती की तुलना भी की गई है।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिये ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा दिये गए सुझाव:
- नियंत्रण और संतुलन को सुदृढ़ करना तथा शक्तियों के पृथक्करण को बढ़ावा देना।
- बजट और सार्वजनिक सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिये अधिमान्य व्यवहार से निपटना जो कि व्यक्तिगत संपर्क द्वारा संचालित या विशेष हितों के लिये पक्षपाती नहीं होना चाहिये।
- राजनीति में अत्यधिक धन और उसके प्रभाव को रोकने के लिये राजनीतिक वित्तपोषण पर नियंत्रण करना।
- सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच ‘रिवोल्विंग डोर्स’ जैसी पद्धतियों पर ध्यान रखना।
- निर्णय लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर और सभी की सार्थक पहुँच को बढ़ावा देकर लॉबिंग गतिविधियों को विनियमित करना।
- चुनावी अखंडता को मजबूत करना और गलत सूचना अभियानों को मंज़ूरी देने से रोकना।
- नागरिकों को सशक्त करना और कार्यकर्त्ताओं,व्हिसलब्लोअर्सएवं पत्रकारों को संरक्षण प्रदान करना।
स्रोत – द हिन्दू