ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019
- ट्रांसजेंडर लोगों के लिए एक व्यापक योजना पर काम जारी है।इनके लिए किए जाने कार्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण, कौशल विकास, आवास की पहुंच और आजीविका के लिए आर्थिक सहायता जैसे मुद्दे शामिल हैं।
- इसके लिए सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक, 2019 को संसद में प्रस्तुत करेगी
विधेयक की मुख्य बातें:
- इस विधेयक का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे भेदभाव को समाप्त करना है। जिन क्षेत्रों में इनसे भेदभाव होता है, वे हैं – शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य-देखभाल।
- विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को इनके लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलाने का निर्देश देता है।
- विधेयक में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को ट्रांसजेंडर में रूप में मान्यता उस पहचान प्रमाण-पत्र के आधार पर दी जाएगी जो जिला छटनी समिति के माध्यम से निर्गत होगा। इस प्रमाण-पत्र को ट्रांसजेंडर की पहचान का साक्ष्य माना जाएगा और विधेयक के अंदर विहित अधिकार उसे दिए जाएँगे।
प्रभाव:
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को समाज की मुख्य धारा में लाने और उनके महत्व को समाज के लिए फलदायी बनाने हेतु यह विधेयक अनेक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभान्वित करेगाऔर उनके ऊपर लगने वाली लांछना को घटाएगा तथा साथ ही भेद-भाव और दुर्व्यवहार में भी कमी लाएगा।
- यह विधेयक ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सशक्त करेगा।
- इस नए विधेयक में ट्रांसजेंडर समुदाय की परिभाषा में संशोधन का भी प्रावधान है। इससे पहले की परिभाषा में उन्हें न तो पूर्णतः स्त्री और न ही पूर्णतः पुरुष बताया गया था। इस परिभाषा कोसंवेदनहीन कह कर इसकी आलोचना की गई थी।
- नई परिभाषा:नई परिभाषा के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसका वर्तमान लिंग जन्म के समय उसके लिंग से भिन्न है और इसमें ये व्यक्ति आते हैं – ट्रांस पुरुष अथवा ट्रांस स्त्री, अंतर-यौन विविधताओं वाले व्यक्ति, विचित्र लिंग वाले व्यक्ति तथा सामाजिक-सांस्कृतिक पहचानों वाले कुछ व्यक्ति जैसे – किन्नर, हिजड़ा, अरावानी और जोगटा।
विधेयक की खामियां:
- कई सिविल सोसाइटी समूहों ने इस विधेयक का विरोध किया है,और कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को यह अधिकार होना चाहिए था कि वह अपनी पहचान स्वयं दे सके, न कि किसी जिला छटनी समिति के माध्यम से।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने के मामले में भी विधेयक मौन है।
- विधेयक में संगठित भीक्षाटन के लिए दंड का प्रावधान किया गया है, परन्तु इसके बदले कोई आर्थिक विकल्प नहीं दिया गया है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बलात्कार अथवा यौनाचार के लिए विधेयक में किसी दंड का प्रावधान नहीं है, क्योंकि भारतीय दंड संहिता में बलात्कार की परिभाषा में ट्रांसजेंडर को शामिल नहीं किया गया है।
स्रोत – पी आई बी