ट्रांसजेंडर को तत्काल निर्वाह हेतु वित्तीय सहायता योजना

ट्रांसजेंडर को तत्काल निर्वाह हेतु वित्तीय सहायता योजना

कोविड-19 महामारी को देखते हुए ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के द्वाराट्रांसजेंडर व्यक्ति को 1,500 रुपए की ‘एकमुश्त वित्तीय सहायता’ प्रदान की जायेगी ।

मुख्य बिंदु

सहायता की यह राशि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को  ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT)के माध्यम से प्रदान की जाएगी।जिसके लिये लाभार्थी को राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence- NISD) में पंजीकरण कराना होगा।

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान

  • NISD को 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI (Societies Act XXI of 1860) के तहत पंजीकृत किया गया है । जिसमे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory- NCT) दिल्ली सरकार भी शामिल है।
  • यहएक स्वायत्त निकाय है, जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए एक केंद्रीय सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करता है।इसे सामाजिक रक्षा क्षेत्र हेतु नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान का दर्जा भी प्राप्त है।
  • वर्तमान में यह अभी निम्न विषयों पर केंद्रित है जैसे ,नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वृद्ध नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति की रोकथाम, ट्रांसजेंडर के मुद्दे एवं अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास आदि ।

ट्रांसजेंडर के लिए सरकार की प्रमुख पहल:

  • विदित हो कि 2014 में ‘राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) बनाम भारत संघ’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ घोषित किया था।
  • 2018 में ,सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा- 377 के प्रावधानों में समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने की श्रेणी से बाहर कर दिया है ।

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:

  • ट्रांसजेंडर का तात्पर्य उस व्यक्ति से होता है, जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं रखता है। ट्रांसजेंडर के अंतर्गत ट्रांसमेन और ट्रांस-वुमन (Transmen and Trans-Women), इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति, लिंग-क्वीर (Gender-Queers) और ऐसे व्यक्ति जो सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान रखते हैं जैसे- किन्नर और हिजड़ा शामिल हैं।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 ट्रांसजेंडर के लिये एक राष्ट्रीय परिषद (National Council for Transgender persons- NCT) की स्थापना का प्रावधान भी करता है।
  • इस अधिनियम के माध्यम से ही ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान व प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते है। एवं यह अधिनियम इनको अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ निवास करने का अधिकार देता है।
  • यह अधिनियम एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में खिलाफ हो रहे भेदभाव पर रोक लगाता है।
  • यदि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध किया गया है, तब जुर्माना के साथछह महीने से दो वर्ष तक के कारावास की सज़ा का प्रावधान भी है।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 ट्रांसजेंडर लोगों के लिये एक राष्ट्रीय पोर्टल और ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह’ की योजना है।

स्रोत – द हिंदू

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