टोमैटो फ्लू
हाल ही में केरल के कुछ हिस्सों में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में टोमैटो फ्लू से संक्रमित होने की घटना दर्ज की गई है।
इसमें रोगी के शरीर पर लाल फफोले आ जाते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर एक सामान्य टमाटर के आकार के हो जाते हैं इसी वजह से इस संक्रमण को ‘टोमैटो फ्लू’ नाम दिया गया है।
‘टोमैटो फ्लू’ कॉक्ससैकीवायरस A16 के कारण होता है। इससे ग्रसित व्यक्ति को अत्याधिक पीड़ा होती है।
यह एंटरोवायरस फैमिली से संबंधित है, जोआरएनए वायरस का एक पुराना और महत्त्वपूर्ण समूह है।
एंटरोवायरस (NPEVs) के लिये केवल मनुष्य ही मेजबान/होस्ट होता है।
यह संक्रामक रोग आँतों के वायरस के कारण होता है जो वयस्कों में दुर्लभ होता है क्योंकि उनके पास आमतौर पर वायरस से बचाव के लिये पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रणाली होती है।
संक्रमण:
- टोमैटो फ्लू अत्याधिक संक्रामक है और बच्चों द्वारा टोमैटो फ्लू के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इस आयु वर्ग में वायरल संक्रमण सामान्य है और इसके निकट संपर्क के माध्यम से इसके फैलने की अधिक संभावना है।
- यदि बच्चों में टोमैटो फ्लू के प्रकोप को नियंत्रित नहीं किया गया, तो वयस्कों में भी यह फैल सकता है और इसके संचारण से गंभीर परिणाम उपज सकते हैं।
लक्षण:
- टोमैटो फ्लू वाले बच्चों में देखे जाने वाले प्राथमिक लक्षण चिकनगुनिया के समान हैं, जिनमें तेज़ बुखार, चकत्ते और जोड़ों में तेज़ दर्द शामिल हैं।
- अन्य वायरल संक्रमणों की तरह इसमें थकान, मतली, उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण, जोड़ों की सूजन, शरीर में दर्द और सामान्य इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण देखे गए हैं, ऐसे लक्षण डेंगू में भी पाए जाते हैं।
उपचार:
यह फ्लू स्वयं को सीमित करने वाला है और इसके लिये कोई विशिष्ट दवा नहीं है।
टोमैटो फ्लू का इलाज चिकनगुनिया, डेंगू, हैण्ड, फुट एंड माउथ के रोग के इलाज के समान है।
मरीजों को सलाह दी जाती है कि जलन और चकत्ते से राहत के लिये वे आइसोलेट रहें, आराम करें, तरल पदार्थों का सेवन करें और गर्म पानी का स्पंज लें।
स्रोत –द हिन्दू