प्रमुख बंदरगाहों पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए टैरिफ दिशानिर्देश 2021
हाल ही में सरकार ने प्रमुख बंदरगाहों की सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) आधारित परियोजनाओं के लिए प्रशुल्कों के विनियमन की घोषणा की है ।
नवंबर, 2021 से प्रभावी होने वाले नए महापत्तन प्राधिकरण अधिनियम, 2021 की पृष्ठभूमि में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री द्वारा प्रशुल्क संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।
नए अधिनियम में, प्रमुख पत्तनों के लिए पूर्ववर्ती प्रशुल्क प्राधिकरण (Tariff Authority for Major Ports: TAMP) का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है।
इसकी आवश्यकता क्यों है?
- प्रमुख पत्तनों पर PPP संबंधी रियायत पाने वालों को इन TAMP की शर्तों के तहत कार्य करने के लिए विवश किया गया था, जबकि गैर-प्रमुख पत्तनों पर निजी ऑपरेटर्स/ PPP रियायत प्राप्तकर्ता बाजार के आधार पर प्रशुल्क आरोपित करने के लिए स्वतंत्र थे।
- वर्तमान में, प्रमुख पत्तनों पर PPP रियायत प्राप्तकर्ता, भारत के सभी प्रमुख पत्तनों के माध्यम से संचालित होने वाले कुल यातायात का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा प्रबंधित करते हैं।
प्रमुख निष्कर्ष
- दिशा-निर्देश प्रमुख पत्तनों पर रियायतग्राहियों को बाजार की गतिशीलता के अनुसार प्रशुल्क निर्धारित करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
- दिशा-निर्देश भविष्य की PPP परियोजनाओं के लिए भी लागू होंगे। इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो वर्तमान में बोली के चरण में हैं।
- ट्रांस-शिपमेंट और कोस्टल शिपिंग के लिए सरकार द्वारा प्रशुल्क में प्रदत्त रियायतें भविष्य की सभी PPP परियोजनाओं पर लागू होती रहेंगी।
- ट्रांस-शिपमेंट कार्गो के लिए देय रॉयल्टी अब सामान्य कंटेनर से 1.0 गुना (पहले के 1.5 गुना से) होगी।
- इसी तरह, तटीय कार्गो के लिए, रियायतग्राही को विदेशी कार्गो के लिए देय रॉयल्टी के केवल 40% (पहले 60%) का भुगतान करना होगा।
स्रोत – द हिन्दू