टेलीकॉम कंपनियों ने सैटेलाइट कंपनियों की अलग अर्थ स्टेशन लाइसेंस की मांग का विरोध

टेलीकॉम कंपनियों ने सैटेलाइट कंपनियों की अलग अर्थ स्टेशन लाइसेंस की मांग का विरोध

हाल ही में टेलीकॉम कंपनियों ने सैटेलाइट कंपनियों की अलग अर्थ स्टेशन लाइसेंस की मांग का विरोध किया है ।

टेलीकॉम कंपनियों ने सैटेलाइट कंपनियों की सैटेलाइट अर्थ स्टेशनों के लाइसेंस को सर्विस लाइसेंस से अलग करने की मांग का विरोध किया है।

  • अर्थ स्टेशन भूमि पर एक प्रमुख अनिवार्य दूरसंचार केंद्र हैं। यह अंतरिक्ष में उपग्रह संचार नेटवर्क कोपृथ्वी पर स्थलीय नेटवर्क से जोड़ता है।
  • वर्तमान में, सेवा प्रदाताओं के पास एकीकृत लाइसेंसिंगढांचे के तहत अर्थ स्टेशन स्थापित करने का लाइसेंस है।
  • इसके विरोध में, सैटेलाइटकंपनियां (विशेष रूप से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करने की इच्छुक कंपनिया)सैटेलाइट अर्थ स्टेशनों के लिए एक अलग लाइसेंस व्यवस्था की मांग कर रही हैं।

सैटेलाइट आधारित कनेक्टिविटी के बारे में:

इसे अंतरिक्ष में एक उपग्रह को ब्रॉडबैंडसिग्नल भेज कर और प्राप्त करके संचालित किया जाता है। इसमें भूमिगत कॉपर/फाइबरनेटवर्क का उपयोग नहीं होता है। भू-स्थिर, मध्यम और निम्न भू कक्षा उपग्रहों का उपयोग करके उपग्रह-आधारित लो-बिट-रेट कीकनेक्टिविटी संभव है।

उपग्रह आधारित कनेक्टिविटी के मॉडल में शामिल हैं:

हाइब्रिड (LPWAN + सैटेलाइट) या इनडायरेक्टमॉडलः इसमें, नेटवर्क में मौजूद प्रत्येक सेंसर और गति वर्धक, एक इंटरमीडिएटसिंकनोड अर्थात् लो पावरवाइड-एरियानेटवर्क (LPWAN) गेटवे के माध्यम से उपग्रह के साथ संचार कर सकता है।

डायरेक्टटूसैटेलाइटमॉडलः इसमें उपकरण उपग्रह के साथ सीधे संचार कर सकते हैं। इसमें संचार के लिए किसी भी मध्यवर्ती ग्राउंडगेटवे की आवश्यकतानहीं होती है।

लाभः स्थापित करने मेंआसान और व्यापक कवरेज, बेहतर बैंडविड्थक्षमताएं, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कवरेज को बढ़ावा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) को सक्षम करना इत्यादि।

स्रोत –द हिन्दू

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