टीबी की जीवन रक्षक दवा पर एकाधिकार का मामला

टीबी की जीवन रक्षक दवा पर एकाधिकार का मामला

हाल ही में भारत ने टीबी की जीवन रक्षक दवा पर एकाधिकार बढ़ाने के जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) के प्रयास को अस्वीकार कर दिया है।

  • हाल ही में, जॉनसन एंड जॉनसन ने ‘बेडाक्युलाइन के पेटेंट की एवरग्रीनिंग का प्रयास किया था। यह मल्टी ड्रग प्रतिरोधी टीबी के उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाली एक महत्वपूर्ण दवा है।
  • पेटेंट एवरग्रीनिंग का उपयोग फार्मास्युटिकल कंपनियां करती हैं। इसके तहत किसी दवा में केवल मामूली रिफॉर्मूलेशन करके या उसमें अन्य पुनरावृत्तियों के माध्यम से उस दवा की पेटेंट अवधि को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
  • हालांकि, इन तरीकों से दवा की चिकित्सीय प्रभावकारिता में कोई बढ़ोतरी नहीं होती है।
  • भारतीय पेटेंट अधिनियम (IPA), 1970 की धारा 3 (d) पेटेंट की एवरग्रीनिंग पर रोक लगाती है। इसके अनुसार यदि किसी ज्ञात पदार्थ के किसी नए रूप की खोज की जाती है, लेकिन उससे उस पदार्थ की ज्ञात दक्षता में कोई वृद्धि नहीं होती है, तो उसे आविष्कार नहीं माना जाएगा। इस प्रकार वह नया रूप पेटेंट का पात्र नहीं होगा ।
  • वर्ष 2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्विस दवा निर्माता कंपनी नोवार्टिस द्वारा कैंसर रोधी दवा ग्लिवेक के लिए दायर आवेदन को खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया था कि यह धारा 3 (d) के तहत पेटेंट योग्य आविष्कार नहीं है ।

इस कदम का महत्त्व: 

  • इससे जेनेरिक दवा निर्माण को सुगम बनाकर दवा की लागत में कमी की जा सकेगी। इस प्रकार, जेनरिक दवाओं की व्यापक पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी।

स्रोत – द हिन्दू

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