टीका-जनित पोलियो के वैश्विक प्रसार का जोखिम अभी भी

टीका-जनित पोलियो के वैश्विक प्रसार का जोखिम अभी भी

हाल ही  में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार टीका-जनित पोलियो के वैश्विक प्रसार का जोखिम अभी भी काफी अधिक है।

WHO की एक समिति ने कई देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए अपडेट का अध्ययन किया है।

इस अध्ययन के बाद समिति ने कहा है कि वाइल्ड पोलियो वायरस के वैश्विक प्रसार का जोखिम बना हुआ है, लेकिन वैक्सीन – जनित पोलियो वायरस (VDPV) के वैश्विक प्रसार का जोखिम सर्वाधिक है।

पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो ) एक अत्यधिक संक्रामक रोग है, जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। वाइल्ड पोलियो वायरस 3 प्रकार के होते हैं – टाइप-1, टाइप-2 और टाइप-3

वर्तमान में केवल टाइप-1 वाइल्ड पोलियो वायरस ही संचारित हो रहा है।

पोलियो वायरस के विरुद्ध दो प्रकार के टीके दिए जाते हैं:

  • निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (Inactivated Polio Vaccine: IPV), तथा ओरल पोलियो वैक्सीन (Oral Polio Vaccine: OPV)
  • IPV को वाइल्ड प्रकार के पोलियो वायरस स्ट्रेन से निर्मित किया जाता है। इन्हें फॉर्मेलिन से निष्क्रिय (मार देना) कर दिया जाता है।
  • OPV, क्षीण (कमजोर) वायरस से बनाया जाता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करता है ।
  • हालांकि, अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में OPVs, वैक्सीन – जनित पोलियो वायरस (VDPVs)का भी कारण बन सकते हैं।
  • ऐसा तब होता है, जब लंबे समय तक वैक्सीन – पोलियो वायरस का प्रसार होता रहता है या वायरस की नई-नई प्रतिकृतियां बनती रहती हैं।

VDPVs के प्रकार हैं:

  • इम्युनोडेफिशिएंसी वैक्सीन – जनित पोलियो वायरस (iVDPV), और ऐम्बिग्यूअस वैक्सीन – जनित पोलियो वायरस (aVDPV) ।
  • VDPVs ज्यादातर ऐसे बच्चों में पाया जाता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है। इसके अलावा, यह वायरस आबादी के ऐसे हिस्से को भी संक्रमित करता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर बहुत कमज़ोर होता है।
  • वर्ष 2014 में, दक्षिण – पूर्व एशिया क्षेत्र के बाकी हिस्सों के साथ भारत को भी आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया था।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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