टाइटन पनडुब्बी में भयंकर अंतःस्फोट (IMPLOSION) हुआ था
हाल ही में टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए गहराई में उतरने के दौरान टाइटन पनडुब्बी से संपर्क टूट गया था।
इसके तुरंत बाद नौसेना को ‘अंतःस्फोट जैसी आवाजों का पता चला था। ध्यातव्य है कि टाइटैनिक जहाज का मलबा समुद्र तल से 3,800 मीटर (12,467 फीट) नीचे मौजूद है।
विस्फोट (Explosion) में एक अति संकुचित स्थान में दबाव तब तक बनता है, जब तक कि ऊर्जा तीव्र गति से विमुक्त नहीं हो जाती है। इससे मलबा बाहर की ओर फैल जाता है विस्फोट में कोई भी चीज अंदर से बाहर की तरफ फैलती है ।
जबकि अंतः स्फोट में, किसी संरचना पर दबाव तब तक बनता है, जब तक कि वह अंदर की ओर पूर्णतः संकुचित न हो जाए। इससे मलबा अंदर की ओर ढह जाता है अर्थात् अंतः स्फोट में बाहर से अंदर की तरफ दबाव के चलते धमाका होता है। उदाहरण के लिए जल का दबाव ।
ऐसा प्रतीत होता है कि गहरे समुद्र में जल के दबाव ने पनडुब्बी को संकुचित कर नष्ट कर दिया है।
समुद्र तल पर, हमारे फेफड़ों के अंदर का दबाव हमारे चारों ओर की वायु के दबाव के समान होता है। समुद्र तल पर यह दबाव प्रति वर्ग सेंटीमीटर पर 1.033 किलोग्राम या एक “वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है।
समुद्र की गहराई के साथ दबाव बढ़ता जाता है। प्रत्येक 33 फीट (10.06 मीटर) की गहराई पर दबाव, एक वायुमंडलीय दाब तक बढ़ जाता है।
विशेषज्ञ टाइटन पनडुब्बी के साथ जुड़ी कुछ संभावित सुरक्षा संबंधी समस्याओं को भी इस हादसे का कारण मान रहे हैं ।
पोतखोल (Hull)- चारों ओर का खोखला हिस्सा जहां यात्री बैठते हैं। यह कार्बन फाइबर से बनाया गया था, जो समुद्र की गहराई में जाने वाले जलयानों / पनडुब्बियों के लिए काफी हद तक सही नहीं था।
गहराई में गोता लगाने वाली पनडुब्बियों का पोतखोल सामान्यतः गोलाकार होता है, जिससे कि प्रत्येक बिंदु पर पनडुब्बी पर समान मात्रा में दबाव पड़ सके।
किंतु टाइटन पनडुब्बी का पोतखोल ट्यूब के आकार का था, इसलिए इस पर दबाव समान रूप से वितरित नहीं हो पाया ।
स्रोत – लाइव मिंट