झारखंड सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय कोटा सुनिश्चित
हाल ही में झारखंड सरकार ने निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय कोटा सुनिश्चित करने के लिए जॉब पोर्टल लॉन्च किया है।
झारखंड सरकार ने ‘झारनियोजन’ (Jharniyojan) पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर सभी निजी प्रतिष्ठानों को अपना पंजीकरण कराना होगा ।
यह पोर्टल नियोक्ताओं के लिए व्यवसायों और श्रम बल से संबंधित जानकारी साझा करने तथा नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।
इस पोर्टल का उपयोग करने वाले नियोक्ताओं को ‘निजी क्षेत्र में झारखंड राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम 2021’ का पालन करना होगा ।
यह कानून स्थानीय लोगों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान करता है। यह आरक्षण 40,000 रुपये प्रतिमाह से कम वेतन वाली नौकरियों में दिया जाएगा।
यह उन सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जो निजी क्षेत्र में हैं। साथ ही, जहां 10 या इससे अधिक लोग कार्यरत हैं ।
निजी क्षेत्र में स्थानीय कोटा के पीछे दिए जाने वाले तर्कः
- राज्य में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और उनके लिए प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी;
- संवृद्धि में व्याप्त क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में मदद मिलेगी;
- राज्य में वामपंथी उग्रवाद की समस्या से निपटने में सहायता प्राप्त होगी आदि ।
स्थानीय कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय
- डॉ. प्रदीप जैन वाद (1984): इस मामले में न्यायालय ने राय व्यक्त की थी कि “भूमि पुत्रों” (Son’s of the Soil) के लिए कानून बनाना असंवैधानिक होगा।
- सुनंदा रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य वाद (1995): इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार की उस नीति को रद्द कर दिया था, जिसमें तेलुगु भाषा माध्यम से अध्ययन करने वाले उम्मीदवारों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त भारांक (weightage) दिया गया था।
निजी क्षेत्र में स्थानीय कोटे से जुड़ी चिंताएं–
- यह संबंधित राज्य में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को प्रभावित करता है और नियोक्ताओं पर कानून के अनुपालन का बोझ बढ़ जाता है।
- यह संविधान के अनुच्छेद 19(1) (g) के तहत नियोक्ताओं के कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है ।
स्रोत – पी.आई.बी.