देश में जैविक (ऑर्गेनिक) खाद और जैव उर्वरकों के सुधार पर रिपोर्ट
हाल ही में नीति आयोग ने “गौशालाओं की आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार पर विशेष ध्यान देने के साथ जैविक और जैव उर्वरकों के उत्पादन एवं संवर्धन” शीर्षक से टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट जारी की है ।
उपर्युक्त रिपोर्ट में देश में जैविक (ऑर्गेनिक) खाद और जैव उर्वरकों को बढ़ावा देने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए गए हैं:
- भारत विश्व में रासायनिक उर्वरकों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। वर्ष 2020-21 में रासायनिक उर्वरकों पर कुल सब्सिडी व्यय करीब 3 लाख करोड़ रुपए का था ।
- खेतों से सिंथेटिक उर्वरक से युक्त पोषक तत्वों का अपवाह भूमि पारिस्थितिकी – तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- भारत में जैविक खादों तथा जैव उर्वरकों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय विनियमित करता है। इनका विनियमन उर्वरक (अजैविक, जैविक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश (FCO), 1985 के माध्यम से किया जाता है।
- जैविक खाद कंपोस्ट किए गए या किण्वित उत्पाद होते हैं। ये शहरी अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, फसल अवशेष, पशुधन अपशिष्ट जैसे जैविक अपशिष्टों से बने होते हैं।
- जैव उर्वरक ऐसे उत्पाद हैं, जिनमें वाहक-आधारित (ठोस या तरल) जीवित सूक्ष्मजीव मौजूद होते हैं।
- ये नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फास्फोरस घुलनशीलता या पोषक तत्व जुटाने में मदद करते हैं। राइजोबियम, एजोटोबैक्टर आदि जैव उर्वरक के उदाहरण हैं ।
जैविक खाद और जैव उर्वरकों को अपनाने में चुनौतियां
- इन उर्वरकों के विनिर्माताओं के लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं हैं।
- अनुसंधान व विकास, गुणवत्ता परीक्षण सुविधा और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी है।
- किसानों के मध्य उपर्युक्त उर्वरकों के उपयोग और जागरूकता की कमी है।
प्रमुख सिफारिशें:
- विनिर्माण और अनुमोदन प्रक्रिया का डिजिटलीकरण करने की जरूरत है,
- जैव उर्वरकों की दक्षता में सुधार करने के लिए अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए,
- किसानों के बीच इन उर्वरकों के लाभ के बारे में प्रचार करने की जरूरत है,
- पर्याप्त उत्पादन और परीक्षण अवसंरचनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए आदि ।
जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई अलग-अलग योजनाएं
- परंपरागत कृषि विकास योजना
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन– इसके तहत जैव उर्वरक के प्रचार-प्रसार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ।
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत पूंजी निवेश सब्सिडी योजना (CISS)
स्रोत – पी.आई.बी.