भारत में जैविक उत्पादों के प्रमाणन में ‘कई कमियों‘ को रेखांकित
हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) ने भारत में जैविक उत्पादों के प्रमाणन में ‘कई कमियों’ को रेखांकित किया है
यूरोपीय संघ द्वारा किए गए एक ऑडिट में अलग-अलग स्तरों पर नियंत्रणों के पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन से संबंधित कमियां पाई गई हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
उत्पादक समूहों में बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के गैर-अनुपालन की प्रवृत्ति देखी गई है।
जैविक खेती के बारे में ज्ञान का अभाव है तथा निरीक्षण की गुणवत्ता भी खराब है।
भारत में जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP): इसमें प्रमाणन निकायों को प्रत्यायन (accreditation) प्रदान करना, जैविक उत्पादन के लिए मानक निर्धारित करना, जैविक खेती को बढ़ावा देना और इससे प्राप्त उत्पादों का विपणन करना आदि शामिल हैं।
NPOP मानकों को यूरोपीय आयोग और स्विट्जरलैंड ने मान्यता प्रदान की है।
NPOP को वाणिज्य मंत्रालय के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के तहत शुरू किया गया है।
प्रमाणीकरण के लिए प्रत्यायन प्राप्त प्रमाणन निकाय जिम्मेदार होते हैं।
पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम फॉर इंडिया (PGS-इंडिया): PGS यह सुनिश्चित करता है कि जैविक उत्पादों का उत्पादन निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हो। इसे एक पंजीकृत लोगो (logo ) या विवरण के रूप में दर्शाया जाता है।
इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने शुरू किया था । इसका उद्देश्य तृतीय पक्ष प्रमाणन एजेंसियों की सहायता के बिना प्रमाणन प्रणाली को सस्ता और सुलभ बनाना है ।
प्रमाणीकरण के लिए स्थानीय समूह जिम्मेदार होते हैं ।
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार जैविक खाद्य पदार्थों के निर्माण वितरण विक्री या आयात को विनियमित करता है
स्रोत – द हिन्दू