जेल सांख्यिकी रिपोर्ट 2021
हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने ‘भारत में जेल सांख्यिकी रिपोर्ट, 2021’ जारी की है।
NCRB द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि विचाराधीन कैदियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह वृद्धि जेलों में भीड़भाड़ के लिए जिम्मेदार है।
राष्ट्रीय औसत ऑक्यूपेंसी दर 130.2% है, जो भारतीय जेलों में भीडभाड की संकेतक है।
भीड़भाड़ वाली जेलें कैदियों की स्वच्छता, प्रबंधन तथा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
रिपोर्ट के अन्य प्रमुख आंकड़े-
- भारतीय जेलों में बंद 77% कैदी विचाराधीन कैदी हैं।
- 80% से अधिक विचाराधीन कैदी समाज के वंचित वर्गों से हैं।
- कैदियों की अधिकांश संख्या (6%) 18-30 वर्ष आयु वर्ग की है।
- कुल कैदियों में से 5% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों से संबंधित हैं।
- उत्तर प्रदेश की जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद बिहार और महाराष्ट्र का स्थान है।
- दिल्ली की जेलों में ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए कोई अलग से जगह नहीं है।
विचाराधीन कैदियों के लिए की गई पहले-
- बलात्कार, बाल लैंगिक शोषण आदि जैसे गंभीर अपराधों में त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs) स्थापित किए गए हैं।
- न्यायिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, लंबित मामलों को कम करने और वादियों की मदद करने के लिए ई-कोर्ट संचालित किए जाते हैं।
- जेलों, कैदियों और जेल कर्मियों की स्थिति में सुधार के लिए जेल आधुनिकीकरण योजना चलाई जा रही है।
- आदर्श जेल नियमावली लागू की गई है। यह नियमावली जेलों में बंद कैदियों को उपलब्ध कानूनी सेवाओं और उन्हें उपलब्ध निःशुल्क कानूनी सेवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।
विचाराधीन कैदियों की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार कारक
जांच में देरी, गरीबी और निरक्षरता, अनावश्यक गिरफ्तारी और पुलिस की मनमानी, निम्नस्तरीय कानूनी मदद और प्रतिनिधित्व, जमानत प्रणाली में खामियां, कानूनों और न्यायिक निर्णयों का कमजोर कार्यान्वयन ।
स्रोत –द हिन्दू