हाल ही में मंत्रिमंडल ने जूट (पटसन) पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण नियमों को स्वीकृति प्रदान की है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस वर्ष पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए आरक्षण नियमों को मंजूरी प्रदान की है। इसमें यह निर्धारित किया गया है कि शत-प्रतिशत खाद्यान्न और 20% चीनी, अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में पैक की जानी चाहिए।
यह कार्यवाही जूट पैकेजिंग सामग्री (वस्तु पैकिंग अनिवार्य प्रयोग) अधिनियम, 1987 के तहत की गई है।
यह अधिनियम कुछ वस्तुओं की आपूर्ति एवं वितरण में जूट पैकेजिंग सामग्री के अनिवार्य उपयोग का प्रावधान करता है। यह उपबंध कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के उत्पादन आदि के हित में है।
महत्व
- इससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी, क्योंकि जूट एक प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल, नवीकरणीय और पुनः उपयोग किए जाने वाला फाइबर है।
- वर्तमान प्रस्ताव में आरक्षण नियम भारत में कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन के हितों की रक्षा करेंगे।
- ये 40 लाख जूट किसानों की उपज के लिए एक गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करते हैं।
जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा आरंभ की गई विभिन्न पहलें
- कच्चे जूट की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए जुट-इम्प्रूव्डकल्टीवेशनएंडएडवांस्डरेटिंगएक्सरसाइज।
- जूट स्मार्ट (SMART) जूट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक ई-सरकार पहल है।
- जूट न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था में सम्मिलित है।
जूट के बारे में:
- भारत विश्व में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- जूट को जलोढ़ मिट्टी और अत्यधिक वर्षा एवं 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
- जूट की फसल हेतु मानसून के मौसम में उष्ण और उच्च आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है।
स्रोत – पी आई बी