जीन एडिटिंग (Genome Editing)
हाल ही में सरकार ने पादप किस्मों के विकास में तेजी लाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
ये दिशा निर्देश उन सभी संगठनों पर लागू होंगे, जो साइट्स डायरेक्टेड न्यूक्लीज, SDN -1 और SDN-2 श्रेणियों के तहत जीनोम एडिटेड पादपों के अनुसंधान, विकास तथा प्रबंधन में शामिल हैं।
- संगठनों से पादपों की किस्मों के विकास में तेजी लाने और अनुमोदन के समय को कम करने की अपेक्षा की गई हैं।
- इससे पूर्व, जीनोम एडिटेड पादपों की SDN-1 और SDN-2 श्रेणियों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कुछ सख्त विनियमों से छूट प्रदान की गई थी।
- SDN तकनीक के तहत डीएनए काट-छांट वाली जगहों पर विशेष छोटे बदलाव करने में मदद मिलती है। इसके तहत लक्षित डीएनए काट-छांट और होस्ट के प्राकृतिक मरम्मत तंत्र का लाभ उठाया जाता है।
- इस तरह के लक्षित एडिट्स के परिणामस्वरूप एक नई और वांछित विशेषता को शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिए पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि या एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के उत्पादन में कमी।
SDN से उत्पन्न जीनोम एडिटेड पादपों को आम तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- SDN-1: यह डीएनए सीक्वेंस टेम्पलेट का उपयोग किए बिना साइट-डायरेक्टेड म्यूटेजेनेसिस (आनुवंशिक उत्परिवर्तन का उत्पादन) है।
- SDN-2: यह डीएनए सीक्वेंस टेम्पलेट का उपयोग करते हुए एक साइट-डायरेक्टेड म्यूटेजेनेसिस है
- SDN-3: इसमें डीएनए सीक्वेंस टेम्पलेट का उपयोग करके जीन DNA सीक्वेंस का साइट-डायरेक्टेड प्रवेश कराया जाता है।
SDN-1 और SDN-2 में किसी बाहरी डीएनए को प्रवेश नहीं कराया जाता है।
जीनोम एडिटिंग क्या है?
- इसे जीन एडिटिंग भी कहा जाता है। यह प्रौद्योगिकियों का एक समूह है। इसके द्वारा किसी जीव के DNA/RNA में परिवर्तन किया जाता है।
- इस प्रकार किसी जीव के DNA/RNA में लक्षित न्यूक्लियोटाइड/न्यूक्लियोटाइड्स में सटीक परिवर्तन किया जा सकता है।
उपयोग:
- फसल की किस्म में सुधार किया जा सकता है,
- फसल के पोषण तत्वों में वृद्धि की जा सकती है,
- कीटों और बीमारियों से फसलों को बचाया जा सकता है,
- जैव ईंधन प्राप्त किया जा सकता है,
- औषधि बनाने में भी मदद मिलती है आदि।
स्रोत – द हिन्दू