2023 के अंत तक 10,000 भारतीयों के जीनोम अनुक्रमण का कार्य पूर्ण
हाल ही में जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) के तहत 2023 के अंत तक 10,000 भारतीयों के जीनोम अनुक्रमण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
- GIP के तहत, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) 7,000 जीनोम्स को अनुक्रमित (Sequence) करने के करीब है। इनमें से 3,000 पहले से ही सार्वजनिक पहुंच के लिए उपलब्ध हैं।
- ब्रिटेन, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने अपनी आबादी के कम से कम 1 लाख जीनोम्स को अनुक्रमित करने के लिए कार्यक्रम बना रखा है।
- DBT ने 2020 में मानव जीनोम परियोजना से प्रेरित होकर GIP की शुरुआत की थी। इसका लक्ष्य 10,000 भारतीयों के नोम्स को अनुक्रमित करना तथा उसका एक डेटाबेस तैयार करना है ।
- भारतीय लोगों के जीनोम्स का एक डेटाबेस तैयार होने से शोधकर्ता कहीं से भी आनुवंशिक भिन्नता के बारे में जान सकते हैं, जो भारत के जनसंख्या समूहों के लिए विशिष्ट है।
- साथ ही, उस डेटाबेस का उपयोग दवाओं और उपचारों को अनुकूलित करने के लिए किया जा सकेगा ।
- GIP का नेतृत्व बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान का सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च कर रहा है। यह देश के 20 अग्रणी सहयोगी संस्थानों के बीच केंद्रीय समन्वयक की भूमिका निभा रहा है।
- जीनोम अनुक्रमण के तहत जीनोम में DNA न्यूक्लियोटाइड्स या क्षार के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
- एडीनीन (A), गुआनिन (G), साइटोसीन (C) और थायमिन (T) के क्रम जीवों के डी.एन.ए. का निर्माण करते हैं ।
- जीनोम एक जीव में आनुवंशिक जानकारी का पूरा सेट होता है।
जीनोम अनुक्रमण के उपयोगः
- इससे वंशानुगत विकारों और कैंसर के बढ़ने के लिए उत्तरदायी उत्परिवर्तन की पहचान संभव हो पाती है;
- रोग के प्रकोप की निगरानी में मदद मिलती है;
- जीनोमिक संरचना के आधार पर पर्सनलाइज्ड दवाओं का विकास किया जा सकेगा आदि ।
स्रोत – द हिन्दू
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