नीति आयोग द्वारा ‘जिला अस्पतालों के प्रदर्शन में सर्वोत्तम प्रथाएं’ नामक रिपोर्ट जारी
हाल ही में, नीति आयोग ने जिला अस्पतालों के प्रदर्शन में सर्वोत्तम प्रथाएं (Best Practices in the Performance of District Hospitals) नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
यह जिला अस्पतालों के प्रदर्शन-मूल्यांकन से संबंधित प्रथम रिपोर्ट है। यह स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त करने वाले समुदायों और लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली के डेटा-संचालित अभिशासन की ओर संक्रमण का प्रतीक है।
यह रिपोर्ट नीति आयोग,स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा WHO-इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जिलाअस्पतालों में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर औसतन 24 बिस्तर हैं। इन आंकड़ों में बिहार में न्यूनतम 6 बिस्तर और पुडुचेरी में सर्वाधिक 222 बिस्तर हैं।
भारतीय जन स्वास्थ्य मानक (Indian Public Health Standards: IPHS) 2012 के दिशा-निर्देश में यह अनुशंसा की गई थी कि जिला अस्पतालों में प्रति 1 लाख जनसंख्या (वर्ष 2001 की जनगणना केआधार पर) कम से कम 22 बिस्तर होने चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रति एक लाख लोगों के लिए कम से कम 500 बिस्तर होने की अनुशंसा की है।
भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल:
- स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है।
- भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को त्रिस्तरीय प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है ।
IPHS के अनुसार, जिला अस्पतालों के लिए निम्नलिखित अनिवार्य है:
- सेवाओं को जिले के लोगों की आवश्यकताओं के प्रति अधिक अनुक्रियाशील और संवेदनशील बनायाजाना चाहिए ।
- समुदाय को व्यापक द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल, विशेषज्ञ और परामर्श सेवाएँ, प्रदान करनी चाहिए ।
भारत की तीन स्तरीय स्वास्थ्य प्रणाली
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल : स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWC) ,उपकेन्द्र (SC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC)
- द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल : जिला अस्पताल (DH), उप-जिला अस्पताल, ब्लॉक स्तर पर सामुदायिक (CHC), CHC और DH विशेषज्ञ (स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिष्ट चिकित्सा कर्मी शिशु रोग विशेषज्ञ, शल्य चिकित्सक)
- तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल : चिकित्सा महाविद्यालय एवं उन्नत स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, विशेषीकृत सघन चिकित्सा इकाई, उन्नत नैदानिक सहायता सेवाएं और विशिष्ट चिकित्सा कर्मी
स्रोत – पीआईबी