जिराफ
हाल ही में अंग्रेजों द्वारा भारत लाए गए जिराफ (Giraffes) लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल हो सकते हैं।
अलीपुर में जिराफों के ‘आनुवंशिक दूरी विश्लेषण’ से पता चला है कि वे न्युबियन और रोथस्चिल्ड जिराफ से सबसे अधिक निकटता से संबंधित थे।
लगभग 150 साल पहले, ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा अफ्रीका में अपनी अन्य औपनिवेशिक संपत्ति में से ‘उत्तरी जिराफ’ (Northern Giraffe) की एकल प्रजातियों के बैचों को भारत लाया गया था। अब इनमें से देश भर में 29 कैप्टिव ‘उत्तरी जिराफ’ बचे है।
‘उत्तरी जिराफ’ एक विदेशी प्रजाति हैं जिन्हें भारत में आयात किया गया था। इनकी आबादी के प्रबंधन के लिए जारी प्रोटोकॉल देश के मूल जानवरों की तुलना में अलग थे। जंगली ‘जिराफ’ केवल उप-सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं।
न्युबियन जिराफ (Nubian Giraffes): यह जिराफ की एक उप-प्रजाति है। इसका पर्यावास इथियोपिया, केन्या, युगांडा, दक्षिण सूडान और सूडान में पाया जाता है। इसको IUCN में पिछले 3 दशकों में 95% की गिरावट के कारण पहली बार 2018 में IUCN द्वारा उप-प्रजाति को ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
रोथ्सचाइल्ड जिराफ (Rothschild’s Giraffe): इसे बारिंगो जिराफ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह केन्या के क्षेत्र में बारिंगो झील के पास जंगली में देखा जाता है। इसका पर्यावास अफ्रीका के रेगिस्तानी और सवाना मैदानी इलाके, मुख्य रूप से पूर्वी युगांडा और पश्चिमी केन्या में पाया जाता है। IUCN स्थिति: संकटग्रस्त ।
स्रोत – द हिन्दू