जापान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से उपचारित जल समुद्र में छोड़ेगा
हाल ही में जापान 12 वर्ष बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से 1.34 मिलियन टन उपचारित रेडियोधर्मी जल प्रशांत महासागर में छोड़ेगा।
विदित हो कि यह संयंत्र 2011 के भूकंप और सुनामी की चपेट में आ गया था ।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने जुलाई 2023 में एक अंतिम रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि यदि डिज़ाइन के अनुसार पानी को रिलीज किया गया, तो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर नगण्य प्रभाव पड़ेगा। इस योजना का निष्पादन परमाणु संयंत्र की संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) करेगी।
फुकुशिमा संयंत्र देश के पूर्वी तट पर अवस्थित है। यह स्थल राजधानी टोक्यो से लगभग 220 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है ।
जापान का दावा है कि उसने संग्रहित जल के उपचार के लिए ‘एडवांस लिक्विड प्रोसेसिंग सिस्टम’ (ALPS ) का इस्तेमाल किया है। ALPS एक पंपिंग और फिल्टरेशन प्रणाली है। यह ट्रिटियम को छोड़कर जल से अधिकतर रेडियोधर्मी पदार्थों को हटा देती है। ट्रिटियम हाइड्रोजन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है। इसे जल से अलग करना बहुत कठिन होता है ।
जल छोड़े जाने से जुड़ी चिंताएं
- ट्रिटियम युक्त इस जल के शरीर में पहुंचने से डी. एन. ए. को नुकसान हो सकता है।
- रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया, एनीमिया, रक्तस्राव आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- यह जल मृदा में मौजूद पोषक तत्वों को नष्ट कर सकता है।
- अपशिष्ट जल छोड़ने से समुद्र प्रदूषित हो सकता है, जिससे नमक और समुद्री खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है ।
- चीन ने फुकुशिमा और टोक्यो सहित जापान से समुद्री खाद्य आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है ।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)
IAEA एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसे 1957 में स्थापित किया गया था । इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग पर रोक लगाना है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस