जापान और ऑस्ट्रेलिया संबंध
जापान और ऑस्ट्रेलिया ने ‘पारस्परिक पहुंच समझौते’ (Reciprocal ACCESS Agreement: RAA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
RAA एक नया समझौता है। यह रक्षा क्षेत्र में बेहतर सहयोग करने के लिए संपन्न किया गया है।इसका उद्देश्य चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति के विरुद्ध आपसी सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है।
RAA, ऑस्ट्रेलियाई और जापानी सेनाओं को रक्षा एवं मानवीय अभियानों पर एक-दूसरेके साथ निर्बाध रूप से कार्य करने की अनुमति प्रदान करेगा।
RAA हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए जापान एवं ऑस्ट्रेलिया द्वारा विस्तारित योगदान का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
इससे पूर्व फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र संबंधीअपनी रणनीति जारी की थी।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर वैश्विक आकर्षण के कारण
- संचार के महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग (SLOC): पश्चिम में मोजाम्बिकचैनल और बाब-अल-मंदेब से पूर्व में लोम्बोक जलसंधि तक प्रमुख चोकपॉइंट्स की उपस्थिति।
- व्यापार और अर्थव्यवस्थाः इस क्षेत्र में विश्व की 65% आबादी अधिवासित है। यह क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 62% का योगदान करता है। विश्व के कुल वस्तु व्यापार में इस क्षेत्र की 46% की हिस्सेदारी है।
- प्राकृतिक संसाधनों से समृद्धः इसमें अपतटीयहाइड्रोकार्बन, मीथेनहाइड्रेट्स, समुद्री तल खनिज, दुर्लभ मृदा धात, प्रचुर मत्स्य भंडार इत्यादि शामिल हैं।
- चीन कारक:चीन की आक्रामक विदेश नीति, तीव्र आर्थिक विस्तार, सैन्य आधुनिकीकरणऔर शक्ति प्रदर्शन के विरुद्ध क्षेत्रीय एवं गैर-क्षेत्रीय देशों ने आपत्ति प्रकट की है।
भारत द्वारा की गई पहले
- विदेश मंत्रालय के तहत पृथक प्रभाग- इंडो-पैसिफिकडिवीजन और हिंद महासागर क्षेत्र डिवीजन।
- हिंद-प्रशांत के विजन के साथ संरेखित नीतियां, जैसे एक्टईस्ट नीति, क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (SAGAR) आदि।
- साझेदारियां (क्वाड, बिम्सटेक, इंडियन ओशनरिमएसोसिएशन (IORA) आदि।
- भारत की नौसैनिक उपस्थिति को बनाए रखना और उसका विस्तार करना।
स्रोत –द हिन्दू