जानवरों एवं मनुष्यों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध संबंध रिपोर्ट
हाल ही में, एक रिपोर्ट से जानवरों में प्रयुक्त रोगाणुरोधी और मनुष्यों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के मध्य सकारात्मक संबंध ज्ञात हुए हैं।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance: AMR) तब उत्पन्न होता है, जब जीवाणु, विषाणु, कवक और परजीवी समय के साथ परिवर्तित हो जाते हैं तथादवाओं के विरुद्ध प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। इससे संक्रमण का उपचार करना कठिन हो जाता है।
- ई.यू. सेंटर फॉरडिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल और अन्यों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में प्रतिजैविक दवाओं के छह वर्गों नामतः- सेफलोस्पोरिन, फ्लोरोक्विनोलोन, पॉलीमीक्सिन, एमिनोपेनिसिलिन, मैक्रोलाइड्स और टेट्रासाइक्लिन का विश्लेषण किया गया है।
- ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अवेयर (AWaRe- एक्सेस, वॉच, रिज़व) वर्गीकरण का भाग हैं।
- रिपोर्ट में ई. कोलाई, के. न्यूमोनिया, एस. ऑरियस और सी. जेजुनी में AMR पर डेटा को शामिल किया गया है।
- ई. कोलाई और के. न्यूमोनिया संक्रमण उत्पन्न करने वाले सामान्य जीवाणु हैं तथा एस. ऑरियसव सी. जेजुनी खाद्य जनित जीवाणु हैं।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
- खाद्य-जीवों में रोगाणुरोधी का उपयोग जानवरों के साथ-साथ मनुष्यों में भी AMR से संबंधित है।
- रोगाणुरोधी अभिकारकों के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करने तथा मनुष्यों और खाद्य उत्पादक जीवों दोनों मेंसंक्रमण नियंत्रण एवं रोकथाम को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के निवारण हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदमः
- राष्ट्रीय रोगाणुरोधी प्रतिरोध रोकथाम कार्यक्रम आरंभ किया गया है।
- दवाओं के लिए रेड लाइन मीडिया अभियान प्रारंभ किया गया है।
- AMR पर राष्ट्रीय कार्य योजना जारी की गई है। भारत ने WHO की वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी प्रणाली (Global Antimicrobial Resistance Surveillance System: GLASS/ग्लास) में नामांकन दर्ज करवाया है।
- भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पशुओं से प्राप्त खाद्य में प्रतिजैविक अवशेषों की सीमा जारी की है।
स्रोत – द हिन्दू