विद्युत मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं में बजटीय सहायता हेतु दिशा-निर्देश जारी
हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं में बजटीय सहायता हेतु दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
विद्युत मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में बाढ़ नियंत्रण और बुनियादी ढांचे (सड़कों एवं सेतुओं) को सक्षम करने हेतु बजटीय सहायता के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
बजटीय सहायता का उद्देश्य इन परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत के प्रशुल्क (टैरिफ) को कम करना है। इस प्रकार यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उपभोक्ताओं से केवल विद्युत के घटकों से संबंधित लागत ही वसूल की जाए।
सार्वजनिक निवेश बोर्ड (Public Investment Board), आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन के उपरांत ही बाढ़ नियंत्रण/भंडारण लागत के लिए आवश्यक राशि, विद्युत मंत्रालय के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से नियत प्रक्रिया के अनुसार ही जारी की जाएगी।
जलविद्युत उत्पन्न करने के लिए प्रवाहित जल की यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत में रूपांतरण किया जाता है।
जलविद्युत परियोजनाएं, विद्युत उत्पादन के अतिरिक्त अन्य लाम (जैसे- बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई सहायता और स्वच्छ पेयजल) भी प्रदान करती हैं।
भारत 1,45,320 मेगावाट की व्यापक जलविद्युत क्षमता से संपन्न है। इसमें से अब तक लगभग 45,400 मेगावाट का ही उपयोग किया जा सका है।
भारत ने वर्ष 2030 तक 75 GW की संचयी जलविद्युत संस्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
जलविद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु किए गए उपाय
- 25 मेगावाट से अधिक की क्षमता वाली वृहद जल विद्युत परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के रूप में घोषित करना।
- जल विद्युत खरीद दायित्व।
- जलविद्युत प्रशुल्क को कम करने के लिए प्रशुल्क युक्तिकरण उपाय।
स्रोत – पी आई बी