“भारत के शीतलन क्षेत्रक में जलवायु संबंधी निवेश के अवसर “रिपोर्ट जारी
हाल ही में विश्व बैंक ने “भारत के शीतलन क्षेत्रक में जलवायु संबंधी निवेश के अवसर ” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- वर्ष 2030 तक, भारत में 160-200 मिलियन से अधिक लोगों को प्रतिवर्ष जानलेवा लू (हीटवेव) का सामना करना पड़ सकता है।
- गर्मी से होने वाले तनाव के कारण लोगों की उत्पादकता में कमी आएगी। इस वजह से वर्ष 2030 तक लगभग 34 मिलियन लोगों को रोजगार खोने के खतरे का सामना करना पड़ेगा ।
- वर्तमान में, परिवहन के दौरान गर्मी की वजह से प्रतिवर्ष लगभग 13 बिलियन डॉलर मूल्य के खाद्य का नुकसान होता है।
- वर्ष 2037 तक, शीतलन ( कूलिंग) की मांग वर्तमान स्तर से आठ गुना अधिक होने की संभावना है। इस वजह से अगले दो दशकों में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 435% की वृद्धि हो सकती है।
- स्थानों को ठंडा रखने के लिए ऊर्जा दक्षता से जुड़ी नई तकनीकों का उपयोग वर्ष 2040 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का अवसर प्रदान कर सकता है।
प्रमुख सुझाव
- निजी और सार्वजनिक, दोनों क्षेत्रों द्वारा वित्तपोषित निर्माण गतिविधियों में जलवायु अनुकूल शीतलन तकनीकों को मानक के रूप में अपनाना चाहिए।
- प्री- कूलिंग और रेफ्रिजरेटेड परिवहन में निवेश करने से खाद्य नुकसान को लगभग 76% तक और कार्बन उत्सर्जन को 16% तक कम करने में मदद मिल सकती है।
- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (CAP) के तहत तीन प्रमुख क्षेत्रकों में नए निवेश का समर्थन करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- ये तीन क्षेत्रक हैं: भवन निर्माण, शीत – श्रृंखला और प्रशीतक (refrigerant)।
- हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग करने वाले उपकरणों की सर्विसिंग, रखरखाव और निपटान प्रक्रिया में सुधार किया जाना चाहिए ।
इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) के बारे में
- ICAP को वर्ष 2019 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य इमारतों में इनडोर कूलिंग, कृषि और औषध क्षेत्रक में शीत – श्रृंखला व प्रशीतन, यात्री परिवहन में में वातानुकूलन जैसे अलग-अलग क्षेत्रकों में संधारणीय शीतलन समाधान प्रस्तुत करना है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2037-38 तक शीतलन की मांग को 25% तक कम करना है।
स्रोत – द हिन्दू