जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रारूप प्रस्ताव
हाल ही में भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रारूप प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया है ।
प्रारूप प्रस्ताव के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र महासचिव से जलवायु संबंधी सुरक्षा जोखिम को व्यापक संघर्ष-निवारण रणनीतियों में एक केंद्रीय घटक के रूप में एकीकृत करने का आह्वान किया गया है।
- प्रस्ताव में जलवायु परिवर्तन पर उपयुक्त चर्चा की मांग की गई है। यह प्रस्ताव जलवायु को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले मुद्दे के रूप में चित्रित करता है।
- उदाहरण के लिए जलवायु परिवर्तन ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। यहां तक कि अफ्रीका के अन्य हिस्सों में संघर्षों में वृद्धि भी की है।
- हालांकि, भारत, चीन और रूस ने इसका विरोध किया है, और इसके विरुद्ध मतदान किया है।
विरोध के कारण
- UNSC के कई सदस्य ऐतिहासिक उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन में मुख्य योगदानकर्ता हैं। यदि सुरक्षा परिषद इस मुद्दे पर उत्तरदायित्व लेती है, तो केवल कुछ देशों को जलवायु संबंधी सभी मुद्दों पर निर्णय लेने की पूरी छूट प्राप्त हो जाएगी।
- व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ जलवायु संबंधी वार्ता के आयोजन के लिए ‘जलवायु परिवर्तन परसंयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (UNFCCC) नामक पहले से ही एक संयुक्त राष्ट्र पैनल विद्यमान है।
- यह विकासशील देशों को एक गलत संदेश प्रेषित करता है कि उनकी चिंताओं को दूर नहीं किया जा रहा और विकसित देशों को UNFCCC के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा रहा है।
- इस प्रकार, सुरक्षा की आड़ में जलवायु परिवर्तन वार्ता की उपेक्षा की जा सकती है।
- यह ग्लासगो में कठिनाई से बनी सहमति को कमजोर करेगा, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों के बीच विवाद उत्पन्न कर सकता है।
UNSC के बारे में: इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है तथा इसका प्राथमिक उत्तरदायित्व अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है।
संरचना: 15 सदस्य (5 स्थायी और 10 अस्थायी)।
स्थायी सदस्यः चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका।
अस्थायी सदस्यः महासभा द्वारा 2 वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने गए सदस्य।
भारत ने जनवरी 2021 (भारत का 8वां कार्यकाल) में एकअस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल शुरू किया। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंग सदस्य देशों को सिफारिशें करते हैं, परन्तु निर्णय लेने की शक्ति केवल सुरक्षा परिषद के पास ही है।
स्रोत – द हिन्दू