सब्सिडी आधारित जलवायु परिवर्तन पर विश्व बैंक की रिपोर्ट
हाल ही में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार सब्सिडी जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद नहीं करती है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- इस रिपोर्ट में कृषि, मत्स्यन और जीवाश्म ईंधन क्षेत्रकों को अप्रभावी रूप से सब्सिडी देने के नकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डाला गया है।
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रकों को अप्रत्यक्ष एवं प्रत्यक्ष रूप से कई ट्रिलियन डॉलर की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। बदले में ये क्षेत्रक जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को बढ़ा रहे हैं।
- ये सब्सिडियां वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 8 प्रतिशत से अधिक है।
- क्षेत्रों और देशों में सब्सिडियों का वितरण अत्यधिक विषम व असमान है ।
सब्सिडियों के प्रभाव:
- कृषि सब्सिडी प्रति वर्ष 2 मिलियन हेक्टेयर वनों के नुकसान या वैश्विक वनोन्मूलन के 14% के लिए जिम्मेदार है ।
- जीवाश्म ईंधन का लगातार बढ़ रहा उपयोग कहीं-न-कहीं सब्सिडी द्वारा प्रोत्साहित है। यह लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष होने वाली 7 मिलियन असमय मौतों का एक प्रमुख कारण है।
- मत्स्यन के लिए प्रतिवर्ष 35 बिलियन डॉलर से अधिक की सब्सिडी दी जा रही है। इसके कारण मछलियों के भंडार में कमी आ रही है, तथा मछली पकड़ने वाले बड़े जहाजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे मत्स्यन क्षेत्र की लाभप्रदता कम होती जा रहा है।
सफल सब्सिडी सुधारों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत:
- लोक स्वीकृति का निर्माण करना और विश्वसनीयता में कमी को दूर करना होगा;
- प्रभावशीलता में सुधार लाने और सुधार की लागत कम करने के लिए पूरक उपायों को लागू करना होगा;
- सामाजिक सुरक्षा और क्षतिपूर्ति के माध्यम से अल्पकालिक मूल्य आघातों को कम करना होगा;
- प्रतिकूल सब्सिडियों को सावधानीपूर्वक और चरणबद्ध तरीके से कम करते हुए उन्हें पूरी तरह समाप्त करना होगा;
- समान या प्रगतिशील लाभों के साथ दीर्घकालिक पुनर्निवेश के माध्यम से राजस्व का पुनर्वितरण करना होगा ।
स्रोत – डाउन टू अर्थ