जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पूर्वानुमान लगाने में बढ़ती चुनौतियाँ
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक के अनुसार दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो गया है।
IMD के महानिदेशक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से विनाशकारी तूफान, बिजली गिरना और भारी वर्षा जैसी चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि हो रही है। ये घटनाएं पूर्वानुमानों के निर्धारण के समक्ष चुनौतियां पैदा कर रही हैं।
IMD पूरे भारत में मौसम पर निगरानी रखने वाली नोडल एजेंसी है। यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
IMD पूर्वानुमान के लिए INSAT उपग्रहों की श्रृंखला के साथ उत्पादों के रियल टाइम विश्लेषण और सूचना प्रसार (RAPID/रैपिड) ऐप्लिकेशन का उपयोग करता है। रैपिड 4-आयामी विश्लेषण क्षमताओं के साथ त्वरित इंटरैक्टिव विजुअलाइजेशन प्रदान करता है।
IMD भू-आधारित पर्यवेक्षणों के लिए इसरो के साथ भी सहयोग करता है। इन पर्यवेक्षणों में तापमान, धूप, वायु की दिशा, गति और आर्द्रता का मापन किया जाता है।
IMD द्वारा पूर्वानुमान के लिए उपयोग किए जाने वाले मॉडल–
स्टैटिस्टिकल एसेंबल फोरकास्टिंग सिस्टम (SEFS), जो निम्नलिखित मापदंडों पर आधारित है:
- उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत के बीच समुद्री सतह के तापमान (SST) में उतार-चढ़ाव,
- भूमध्यरेखीय दक्षिण हिंद महासागर में समुद्री सतह का तापमान,
- पूर्वी एशिया में समुद्री स्तर पर औसत दबाव,
- उत्तर-पश्चिम यूरोप में भू-सतह की वायु का तापमान तथा
- भूमध्यरेखीय प्रशांत में गर्म जल का आयतन ।
डायनामिक ग्लोबल क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम: यह सुपर कंप्यूटर पर भूमि, वायुमंडल और महासागरीय स्थिति का विश्लेषण करता है।
मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल फोरकास्टिंग सिस्टमः यह विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्रों के निष्कर्षों से निर्मित वैश्विक जलवायु मॉडल्स पर आधारित है।
स्रोत –द हिन्दू