जम्मू कश्मीर में परिसीमन
हाल ही में,जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए, केंद्र शासित प्रदेश में सीटों का परिसीमन कराया जाएगा।
परिसीमन की आवश्यकता:
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा 6 मार्च 2020 को, केंद्रशासित प्रदेश के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की एक बार फिर से परिसीमा निर्धारित करने के लिए ‘जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग’ का गठन किया गया था।
- विदित हो कि, ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम’, 2019 के तहत ही कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।
‘परिसीमन’ क्या होता है?
‘विधायी निकाय वाले किसी राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा निर्धारण प्रक्रिया’,परिसीमन’ (Delimitation) कहलाती है ।
‘परिसीमन प्रक्रिया’ का निष्पादन:
- परिसीमन प्रक्रिया, को परिसीमन आयोग(Delimitation Commission) के माध्यम से पूरा कराया जाता है। इस आयोग को ‘सीमा आयोग’ (Boundary Commission) भी कहा जाता है।
- इस आयोग के आदेशों को ‘क़ानून के समान’ शक्तियां प्राप्त होती है, और इन्हें किसी भी अदालत के सम्मुख चुनौती नहीं दी जा सकती ।
आयोग की संरचना:
‘परिसीमन आयोग अधिनियम’, 2002 के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त परिसीमन आयोग में 3 सदस्य होते हैं: इसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश करते हैं,तथा इसके पदेन सदस्य के रूप में मुख्य निर्वाचन आयुक्त अथवा इनके द्वारा नामित निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त सम्मिलित होते है।
संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत , प्रत्येक जनगणना के पश्चात् भारत की संसद द्वारा एक ‘परिसीमन अधिनियम’ क़ानूनका निर्माण किया जाता है।
- अनुच्छेद 170 के अनुसार , प्रत्येक जनगणना के बाद, परिसीमन अधिनियम के तहत राज्यों को भी क्षेत्रीय निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
स्रोत – पी आई बी